पाकुड़ संवाददाता।
पाकुड। महे रमजान के तीसरे जुम्मा की नमाज मस्जिदों में अदब व एहतराम के साथ अदा की गई साथ ही मुल्क में अमन चैन और भाईचारे को लेकर दुआ की गई वंही नमाज अदा करने को लेकर मस्जिदों में भीड़ देखी गयी हरिण डांगा जामे अतहरिया मस्जिद के इमाम मौलाना अंजर काशमी ने रोजा ,सदका ए फितर और जकात पर तकरीर करते हुए कहा कि रोजा रखना हर बालिग मर्द व औरत पर फर्ज करार दिया गया है रोजा रखने से जिस्मानी व रूहानी ताकत मिलती है साल के 11 महीने हम खाते पीते है एक महीना रोजा में भूख व प्यास की शिद्दत बर्दास्त करते है दिन भर भूखे रहने से हमारे जिस्म के अंदर की जो भी गन्दगी है साफ हो जाती है और जिस्म तरोव ताज़ा हो जाता है सदका ए फितर के हवाले से काशमी ने कहा कि सदका ए फितर हर मोमिन को ईद के नमाज़ से क़ब्ल अदा करना जरूरी है उन्होंने कहा कि हर फर्द कम से कम 70 रुपये अदा करे अगर कोई ज्यादा अदा करना चाहे तो वह भी करे जकात के हवाले से काशमी ने कहा कि हर मालदार मर्द व औरत पर जकात देना फर्ज है उसका अदा न करने वाला गुनाहगार होगा जिसके पास आज जे जमाने से 5 तोला सोना या 51 तोला चांदी हो या इसके बराबर नगद रुपिया हो तो जकात फर्ज होता है जो 100 में 2,50 अदा करना है काशमी ने कहा कि सोना चांदी और नगदी मिला कर अगर 40 हजार की हैसियत आप की है तो जकात अदा करे और गरीबो को ईद की खुशी में शामिल करें यही कुरान व हदीश का तकाजा है उन्होंने लोगी से अपील की इतना मुबारक माह हमारे सामने है इसमें इबादत करे रोजा किसी कारण नही रख सकते है तो आपकी मजबूरी है मगर रोजा का एहतराम जरूरी है चौक चौराहे पर खाने पीने से बचे रोजा का एहतराम भी इबादत है।