नापोखुर्द: आज छठ का तीसरा दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में जाना जाता है। आज नापो खुर्द के विभिन्न छठ घाटों में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया और अंतिम दिन उगते सूर्य को यानी उषा अर्घ्य के साथ समाप्त हो गया।
नापोखुर्द के सभी छठ घाटों में समाज सेवियों द्वारा साफ सफाई किया गया और लाइट साउंड की व्यवस्था भी की गई। साथ ही सभी छठ वर्तियो को पूजा हेतु फल, नारियल, धूप, अगरबती तथा घी का वितरण किया गया।
छठ पूजा का पर्व सनातन के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। इसे सूर्य षष्ठी, छठ, छठी, छठ पर्व, डाला पूजा, प्रतिहार और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह चार दिवसीय शुभ अवसर 17 नवंबर से शुरू हो चुका है और 20 नवंबर को समाप्त होगा। यह दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन छठ वर्ती, छठी माता और भगवान सूर्य की उपासना करते हैं और अपने परिवार और बच्चों के लिए उनका आशीर्वाद और समृद्धि मांगते हैं।
रविवार 19 नवंबर यानी आज छठ पूजा का तीसरा दिन मनाया जा रहा है। आज भक्त संध्या अर्घ्य या पहला अर्घ्य के पारंपरिक अनुष्ठान का पालन करते हुए प्रसाद सामग्री से भरे सूप और बांस की टोकरियों के साथ भगवान सूर्य और छठ माता को संध्या अर्घ्य दे कर विधि विधान से पूजा संपन्न किए। इस व्रत का काफी ज्यादा महत्व है, जो भक्त इस व्रत को सच्ची श्रद्धा और समर्पण के साथ करते हैं उनके घर से हमेशा के लिए दुख और दरिद्रता का अंत हो जाता है।
निर्जला व्रत छठ के चौथे या आखिरी दिन समाप्त होता है, जब सूर्य देव और छठी माता को उषा अर्घ्य दिया जाता है। छठ के आखिरी दिन अर्घ्य के बाद बांस की टोकरियों का प्रसाद सबसे पहले व्रती खाते हैं और फिर अपने परिवार व अन्य लोगों में साझा करते हैं।