सरयू राय ने नगर विकास विभाग एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव से की वार्ता

 

मानगो के कचरा प्रबंधन को दुरुस्त करने का मिला आश्वासन

 

– बारा कॉम्प्लेक्स में कचरा निस्तारण मशीन लगाने पर बनी सहमति

 

जमशेदपुर : पश्चिमी के विधायक सरयू राय सोमवार मानगो नगर निगम की समस्याओं को लेकर नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार से मिले। उन्होंने इस संबंध में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव एमआर मीणा से भी वार्ता की। यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि मानगो नगर निगम के कचरा प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाने और आवश्यक उपाय करने की बात नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव के सामने रखी। जिसपर प्रधान सचिव ने कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया। साथ ही पूर्वी सिंहभूम जिला के उपायुक्त को भी इस बारे में आवश्यक निर्देश भी दिया। वहीं सरयू राय ने उन्हें बताया कि वर्ष 2011-12 से मानगो नगर निगम क्षेत्र का कचरा और जमशेदपुर अक्षेस क्षेत्र के घरों से निकलने वाला कचरा टाटा स्टील यूआईएसएल के बारा कांप्लेक्स, सिदगोड़ा में गिराया जाता था। इसके बाद टाटा स्टील यूआईएसएल ने सोनारी के मरीन ड्राइव के किनारे एक स्थान चिन्हित किया। जहां जेएनएसी और मानगो नगर निगम क्षेत्र का कचरा डंप किया जाता था। ये जमीन भी टाटा स्टील की थी। अप्रैल 2023 में सोनारी के कतिपय नागरिक इस समस्या को लेकर एनजीटी में गये। वजह था कचरा प्रबंधन का सुचारू नहीं होना। कचरे के ढे़र में आग लग जाया करता है और जिससे आस-पास के रिहायशी इलाकों में लगातार प्रदूषण फैलता था। एनजीटी ने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त और झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि वे कचरा निष्पादन का वैकल्पिक उपाय करें। दोनों संस्थानों ने एनजीटी के समक्ष शपथ पत्र के माध्यम से अपनी बातें रखी और कचरा निष्पादन के लिए वैकल्पिक स्थान शीघ्र खोजने का आश्वासन भी दिया। सरयू राय के अनुसार एनजीटी के इस आदेश पर पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त और झारखण्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा ठोस आश्वासन दिये जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई तो इस बारे में एक माह पूर्व पुनः एनजीटी ने शपथ पत्र पर इन संस्थानों से वस्तुस्थिति बताने का निर्देश दिया। जिसकी सुनवाई आगामी 8 जनवरी को होनी तय है। इस बीच जेएनएसी का कचरा टाटा स्टील यूआईएसएल के बारा कॉम्प्लेक्स में गिरने लगा। परंतु मानगो नगर निगम का कचरा वहां गिराने पर सहमति नहीं बनी। यह आश्चर्यजनक है कि जब 2011-12 से मानगो और जेएनएसी का कचरा एक ही स्थान पर गिराया जाता था तो एनजीटी के आदेश के बाद मानगो का कचरा बारा कॉम्प्लेक्स में नहीं गिराने और जेएनएसी का कचरा वहां गिराने की अनुमति देने में पक्षपात का कारण क्या है? उनके अनुसार उन्होंने नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव से कहा कि मानगो जमशेदपुर का जुड़वा शहर है। मानगो से टाटा स्टील का सीधा सम्बन्ध है। मानगो होकर इनका भारी वाहन कंपनी में आता है। मानगो होकर उनके पेयजल का पाइपलाइन डिमना लेक से आता है। मानगो में इनका बहुत बड़ा यातायात डिपो है। इनके अन्य हितों से भी मानगो जुड़ा हुआ है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि जेएनएसी की तरह मानगो नगर निगम का कचरा भी टाटा स्टील यूआईएसएल के बारा कॉम्प्लेक्स में गिराया जाय। यही इस समस्या का स्थायी समाधान होगा। अगर जरूरत पड़े तो सरकार वहां कचरा निस्तारण की एक मशीन लगा दे। ताकि वहां कचरा का ढेर न लगे। नगर विकास विभाग ने इस पर सहमति जताई। फिलहाल मानगो का कचरा जिन स्थान पर निष्पादन हो रहा है, वह इसका स्थायी समाधान नहीं है। उन्होंने नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव के सामने यह बात रखी कि मानगो नगर निगम का अपना कोई कार्यालय नहीं है। उनकी पहल पर गांधी मैदान के एक कोने में बनाए दो मंजिला गांधी स्मृति भवन को ही इन्होंने कार्यालय बना दिया है। अब चूंकि मानगो नगर निगम का चुनाव कराने के लिए ट्रिपल टेस्ट आरंभ हो गया है तो यह बात ध्यान देने योग्य है कि चुनाव के बाद नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर एवं 36 वार्डों के सदस्य निर्वाचित होकर आयेंगे तो इनके लिए बैठने की भी जगह होनी चाहिए। इसलिए मानगो नगर निगम के लिए एक अपना कार्यालय होना चाहिए। जिसमें काम करने और नगर निगम के प्रतिनिधि को बैठक करने का पर्याप्त स्थान होना चाहिए। आश्चर्य है कि कपाली जैसे नगर निकाय क्षेत्र में अपना कार्यालय हो गया है। जुगसलाई और आदित्यपुर नगर निकाय क्षेत्र का भी अपना कार्यालय हो गया है। परंतु मानगो नगर निगम की ओर अबतक किसी ने ध्यान नहीं दिया। नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव ने आश्वस्त किया कि वे शीघ्र इसके लिए स्थान का चयन करेंगे और कार्यालय के निर्माण के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध करायेंगे। उनके अनुसार नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव के सामने उन्होंने विस्तार से मानगो की पेयजलापूर्ति लचर होने तथा मानगो पेयजलापूर्ति परियोजना का सही संचालन नहीं होने की बात रखी। साथ ही उन्होंने कहा कि इस जगह से जिस जगह पर मानगो पेयजलापूर्ति परियोजना का इंटेक वेल है, वहां उच्च क्षमता के 6 मोटर अधिष्ठापित हैं। जिसमें से तीन पूरी तरह से और एक मोटर आंशिक रूप से काफी दिनों से खराब है। जरूरत है कि 375 एचपी के दो मोटर की खरीद हो और वहां पर अधिष्ठापित किया जाए। इसके लिए निधि नगर विकास विभाग देगी या पेयजल एवं स्वच्छता विभाग देगी, इसका निर्णय होकर निधि की प्रशासनिक स्वीकृति शीघ्र हो जानी चाहिए। इसी तरह जहां मानगो पेयजलापूर्ति परियोजना का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट है, इसमें लगे मोटर भी सही स्थिति में नहीं है। 150 एचपी का एक मोटर तो पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त है। इसी तरह पेयजलापूर्ति के लिए मानगो को छह जोन में विभाजित किया गया है। परन्तु चार जोन की पानी की टंकियों में पानी पहुंचाने वाले एक-एक मोटर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हैं। इस कारण से संबंधित जोन के क्षेत्र में पर्याप्त मात्रा में पेयजलापूर्ति नहीं हो पा रही है। इस बारे में उन्होंने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता (सामान्य) एवं कार्यपालक अभियंता (यांत्रिकी) से बात की तो पता चला कि मोटर पम्प क्रय के लिए अभी तक जो भी प्रयास हुए है, वे तकनीकी कारणों से सफल नहीं हो पाए हैं। सरयू राय ने दोनों विभागों के प्रधान सचिव से आग्रह किया कि वे तकनीकी बाधाओं का समाधान कर अपने स्तर से मोटर पम्प खरीदने की प्रशासनिक स्वीकृति दें। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव ने कहा कि इस बारे में 3 जनवरी को निर्णय लेंगे। इसी तरह उन्होंने मानगो के एमजीएम अस्पताल की जलापूर्ति तथा जमशेदपुर अक्षेस की बस्तियों में पेयजल कनेक्शन में हो रही कठिनाईयों का मामला भी उनके समक्ष उठाते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग अभी तक जो कार्रवाई करने जा रहा है, उसके अनुसार एमजीएम अस्पताल में पानी मिलने पर कम से कम दो से ढ़ाई वर्षों का समय लगेगा। तब तक एमजीएम अस्पताल संचालित नहीं होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि इसके लिए डिमना लेक से टाटा स्टील का जो पानी का पाइपलाइन से जा रहा है, उससे एमजीएम अस्पताल में जलापूर्ति की व्यवस्था करने की पहल की जा सकती है। इसी तरह जमशेदपुर अक्षेस की बस्तियों में पेयजल कनेक्शन देने के लिए टाटा स्टील यूआईएसएल द्वारा 15 हजार से 25 हजार तक का शुल्क मांगा जा रहा है। टाटा लीज नवीकरण समझौता के अनुसार तथा नगर विकास विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किये जाने वाले परिपत्रों के अनुसार इन बस्तियों को गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों की बस्ती करार देकर इनमें पेयजल का कनेक्शन मुफ्त किया जाय तथा मीटर के हिसाब से बस्ती वासियों से पेयजल का शुल्क लिया जाय। उन्होंने अपने बयान में कहा कि विभागीय प्रधान सचिवों के स्तर पर जो आश्वासन दिये गये हैं, उसके क्रियान्वयन के संबंध में एक सप्ताह बाद वह फिर से उनसे वार्ता करेंगे। उन्होंने कहा कि वे इस बात का प्रयास करेंगे कि मानगो का कचरा निष्पादन का ठोस हल निकले और मानगो नगर निगम क्षेत्र में और जमशेदपुर अक्षेस क्षेत्र में पेयजलापूर्ति की व्यवस्था सस्ते दर पर सुचारू रूप से हो जाए, तकनीकी बाधाओं को शीघ्र दूर कर लिया जाए।

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