दस महीनों में सत्तर हजार से अधिक लोग निःशुल्क भोजन का ले चुके हैं लाभ

समाजसेवी लुत्फुल हक ने गरीबों की थाली में परोसा भोजन, खुद भी खाया।

मुसलोद्दीन की रिपोर्ट

पाकुड़: किसी ने क्या खूब कहा है, जरूरी नहीं कि सारा दान वहां दें जहां भगवान अमीर हो, थोड़ा दान वहां भी दें जहां भूखा गरीब हो। यह पंक्तियां समाजसेवी लुत्फुल हक के लिए फिट बैठती है, जिन्होंने हर दिन 250 असहाय गरीबों की भूख मिटाने का बीड़ा उठा रखा है। यह सेवा पिछले करीब दस महीनों से रेलवे स्टेशन परिसर में निरंतर जारी है। अब तक सत्तर हजार से भी अधिक गरीबों को भोजन कराया जा चुका है। पाकुड़ के चर्चित समाजसेवी लुत्फुल हक ना सिर्फ भोजन बनाकर गरीबों को बांटने के लिए टीम को यूं ही छोड़ दिया है, बल्कि कमियों पर निगरानी भी रखते हैं। अपनी टीम से लगातार संपर्क में रहते हैं और किसी भी तरह की कमी को तुरंत पूरा करते हैं। अपनी टीम के सहयोग से हर दिन करीब 250 लोगों को भोजन कराते हैं। इतना ही नहीं, वे खुद भी रेलवे स्टेशन परिसर पहुंचकर व्यवस्था का जायजा लेते हैं। इस दौरान समाजसेवी लुत्फुल हक खुद अपने हाथों से गरीबों को भोजन परोसते भी है। भोजन की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान रखते हैं। इसके लिए खुद गरीबों के साथ भोजन करते भी हैं। ताकि गुणवत्ता और उसका स्वाद का पता लगाया जा सके। इधर शनिवार को ही वे अचानक ही रेलवे स्टेशन पहुंच गए और तकरीबन दो घंटे तक अपने हाथों से गरीबों को भोजन परोसा। अपनी टीम को लेकर गरीबों के साथ भोजन भी किया। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि गरीबों की सेवा को समाजसेवी लुत्फुल हक सबसे बड़ा धर्म मान चुके हैं। लुत्फुल हक का मानना है कि भूख सबको लगती है। यह ऐसा क्षण होता है कि इंसान चाहे जितना भी पैसे वाला हो, जब तक पेट में अन्न नहीं जाता तब तक दुनिया की कोई भी चीज अच्छी नहीं लगती। पेट की आग गरीब ही नहीं, सबको एहसास होता है। इसलिए हमें उन असहाय गरीबों के बारे में सोचना चाहिए, जिन्हें एक वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से मिलता होगा। पेट की आग बुझाए बिना सो जाता होगा। इसलिए किसी गरीब भूखे को भोजन कराना सबसे बड़ा धर्म है। लुत्फुल हक बताते हैं कि मैं भी कभी ऐसी परिस्थितियों से गुजरा हूं। इसलिए मुझे गरीबों का दर्द पता है। यहां बताना जरूरी होगा कि समाजसेवी लुत्फुल हक गरीबों की सेवा के लिए देश विदेशों में बड़े-बड़े मंच पर सम्मानित हुए हैं। असहाय गरीबों को सालों से मदद करते आ रहे हैं। ठंड में कंबल वितरण, पर्व त्यौहारों में कपड़े, पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद, असहाय परिवार की बेटियों की शादी, गरीब मरीजों का इलाज में आर्थिक मदद करते आ रहे हैं। कोरोना काल में जरुरतमंदों तक भोजन या सूखा राशन पहुंचाने से लेकर सदर अस्पताल को ऑक्सीजन मुहैया कराने की बातों को कौन भूल सकता है। इधर रेलवे स्टेशन परिसर में पिछले साल 2023 को दो जून से गरीबों को भोजन शुरू किया गया। इसमें समाजसेवी हिसाबी राय का बहुत ही सराहनीय सहयोग रहा है। भोजन बनाने वाली टीम में जीवन साहब, हसन अंसारी और खिलाने वालों में अविनाश कुमार, मुन्ना कुमार, लालटू भौमिक, संजय मंडल, अजीत कुमार, राजकुमार एवं रहीम अंसारी शामिल हैं।

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