स्टेडियम की बदहाली और दुर्दशा का जिम्मेदार आखिर कौन?

अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी का सपना देखने वाले स्टेडियम में फिल्हाल पेयजल की सुविधा भी नहीं है उपलब्ध

मो.ओबैदुल्लाह शम्सी

गिरिडीह:- मुफस्सिल थाना के समीप नवम्बर 1987 में निर्मित जिले का प्रमुख स्टेडियम इन दिनों प्रशासनिक उपेक्षा और विभागीय उदासीनता का घोर दंश झेल रहा है। स्टेडियम की बदहाली और दुर्दशा देखकर यकीन नहीं होगा कि जमशेदपुर के कीनन स्टेडियम की तर्ज़ पर बने इस स्टेडियम में कभी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मैचों के आयोजन की संभावना व्यक्त की जाती थी लेकिन फिल्हाल स्थिति ऐसी है कि बड़े मैचों का आयोजन तो दूर यहां खिलाड़ियों और दर्शकों के लिए अन्य मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। हैरानी का विषय है कि यहां अभी पेयजल की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। दर्शक दीर्घा में चारों तरफ बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं।‌ आउट फिल्ड भी पूरी तरह से बंजर और घास विहीन हो चुकी है।

पुर्व क्रिकेटर राजेश सिन्हा ने कहा कि स्टेडियम की दुर्दशा और खस्ताहाल स्थिति काफी चिंता जनक है। निर्माण के बाद इस स्टेडियम में बिहार और त्रिपुरा के बीच एक रणजी ट्रॉफी मैच खेला गया था। स्टेडियम विश्व स्तर का है। निर्माण बहुत बढ़िया है लेकिन बेहतर रख-रखाव के अभाव में बदहाली का दंश झेल रहा है जो कि चिंता का विषय है। कहा कि प्रशासन के द्वारा वर्ष में दो बार 15 अगस्त और 26 जनवरी के अवसर पर झंडोत्तोलन के पुर्व यहां कुछ हद तक साफ-सफाई का प्रबंध किया जाता है। खेल-कूद के अतिरिक्त यहां करवाए जाने वाले अन्य आयोजन से भी स्टेडियम की ऐसी स्थिति हुई है। कहा कि डीसी साहब, स्थानीय विधायक और नए सांसद से मिलकर उन्हें समस्या से अवगत करवाएंगे। जिले में कुछ मीनी स्टेडियम बनें हैं लेकिन इस प्रमुख स्टेडियम का जिर्णोद्धार और बेहतर रखरखाव भी बेहद जरूरी है और जिला स्पोर्ट्स एसोसिएशन की भागीदारी इसमें बहुत महत्वपूर्ण है।

 

 

 

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