कालीचरण
जमशेदपुर : आज दुनिया चांद पर पहुंच गई है। मगर जिले की उत्पाद विभाग इस युग में भी शराब माफियाओं से भिड़ने के लिए 303 राइफल पर ही निर्भर है। दूर दराज के साथ साथ घने जंगलों में जाकर उत्पाद विभाग शराब माफियाओं के अड्डों पर छापेमारी करती है। इस दौरान माफियाओं के शराब भट्टी समेत शराब बनाने के सामानों को भी विभाग नष्ट कर देती है।
चाहे दिन हो या फिर रात विभाग अवैध शराब माफियाओं पर लगाम लगाने के लिए हमेशा तत्पर रहती है। इस दौरान कभी-कभी इन्हें स्थानीय थाना का सहयोग भी मिलता है। मगर ज्यादातर छापेमारी उत्पाद विभाग अपने दम पर करती है। बावजूद इसके विभाग की सुरक्षा में तैनात पुलिस और होमगार्ड जवानों को अपनी रक्षा के लिए 303 राइफल पर ही निर्भर रहना पड़ता है। जबकि इसके विपरित पुलिस विभाग के पास एक से बढ़कर एक हथियार उपलब्ध है। मगर उत्पाद विभाग की पहुंच से ये बहुत दूर है। वहीं दूसरी जगहों पर उत्पाद विभाग को अपनी सुरक्षा के लिए विभाग द्वारा अत्याधुनिक हथियार भी मुहैया कराया गया है। अपनी जान को जोखिम में डालकर उत्पाद विभाग में कार्यरत जवान समेत दरोगा दिन-रात शराब माफियाओं पर नकेल कसने के लिए अभियान में लगे रहते हैं। कभी-कभी तो छापेमारी के दौरान इनकी स्थिति विकट रहती है।
इस दौरान शराब माफिया के लोग इनपर हमला भी कर देते हैं। ऐसे समय में अक्सर जाम चलने वाली 303 राइफल भी कारगर साबित नहीं होती। जिसके कारण विभाग को पीछे हटाना पड़ता है। वहीं 303 राइफल लंबी दूरी तक निशाना लगाने के लिए अच्छा हथियार है। मगर समय की मांग को देखते हुए आज यह हथियार आउटडेटेड हो गई है और इसकी जगह पर अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिस उत्पाद विभाग से राज्य सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व की प्राप्ति होती है। उनके पास अपने लिए वाहन तक उपलब्ध नहीं है। वहीं जरूरत पड़ने पर विभाग किराए की गाड़ियों का इस्तेमाल करती है। अगर महाराष्ट्र की बात करें तो वहां के उत्पाद विभाग के अधिकारियों को एसएलआर और पिस्टल जैसे अत्याधुनिक हथियार उपलब्ध है। साथ ही छापेमारी के लिए विभाग के पास अपने वाहन भी हैं। सिर्फ यही नहीं जिले के उत्पाद विभाग के पास अपना थाना भवन तक नहीं है।
किसी तरह टाटा स्टील कंपनी के क्वार्टर में थाना और सहायक आयुक्त उत्पाद का कार्यालय चल रहा है। पूर्वी सिंहभूम जिले के उत्पाद विभाग में 3 इंस्पेक्टर, 3 एसआई, एक एएसआई, 20 पुलिस और 12 होमगार्ड जवान तैनात हैं। मगर सुरक्षा के लिए सभी के पास सिर्फ 303 राइफल ही है। या फिर यूं कहे की उत्पाद विभाग के पास कोई सुविधा ही नहीं है। न जाने कब तक सरकार का ध्यान उत्पाद विभाग पर भी आएगा और इन्हें भी अत्याधुनिक हथियार के साथ-साथ अपना वाहन उपलब्ध हो पाएगा। इस संबंध में उत्पाद आयुक्त फैज अक अहमद मुमताज से बात करने की कोशिश की। मगर उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।