वसंत ऋतु में हास्य संग श्रृंगार का आनंद ही कुछ और है, प्रस्तुत रचना एक कवि जीजा अपनी प्यारी साली के लिए मजाक में लिख रहा है

मैं हूँ ना————-! तुम्हें लगने लगे यह जब, कि तेरा कोई नहीं है अब, तब तुम्हें मेरी जरूरत लगे, तो याद कर लेना मुझे, मैं हूँ ना————–! अकेले में सूनापन लगे, कहीं से न अपनापन लगे, रात्रिपहर डरावनापन लगे, तो याद कर लेना मुझे, मैं हूँ ना————–! मध्य रात्रि बस ख्यालों में, तुम्हारी चाहत के सवालों में, यदि किसी की याद आने लगे, तो याद कर लेना मुझे, मैं हूँ ना————–! बाहर घटा हो घनघोर, मन में प्रेम हो पुरजोर, चहूंओर बस कोई न रहे, तो याद कर लेना मुझे,…

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