टाटा स्टील झरिया डिवीजन ने खान सुरक्षा और दक्षता के लिए की पेस्ट फिलिंग टेक्नोलॉजी की शुरुआत

जमशेदपुर : कोयला खनिजों के लिए खदानों में उन खाली स्थानों या अंतर को भरना एक महत्वपूर्ण चुनौती है और जो दुर्गम या जहां पहुंचने में कठिनाई हैं। जिससे भूमिगत कोलियरियों और इसके आस-पास सुरक्षा की चिंता भी पैदा हो रही हैं। वर्तमान में समस्या के समाधान के लिए कोई कुशल तकनीक उपलब्ध नहीं है। वहीं टाटा स्टील झरिया डिवीजन ने हाल ही में फ्लाई ऐश, सीमेंट और एडिटिव्स से बने सेल्फ-लेवलिंग फ्लोएबल पेस्ट का उपयोग कर इन खाली जगहों को भरने के लिए 10 एम 3/घंटे की क्षमता वाला एक पेस्ट फिलिंग पायलट प्लांट चालू किया है।जिसका उद्घाटन 15 फरवरी को डिगवाडीह कोलियरी, झरिया, झारखंड में डीबी सुंदरा रामम, वाईस प्रेसिडेंट, रॉ मटेरियल्स, टाटा स्टील ने संजय राजोरिया, जनरल मैनेजर, झरिया डिवीजन, टाटा स्टील और डॉ प्रशांत, सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट, सीएसआईआर-सीआईएफएमआर, धनबाद की उपस्थिति में किया गया। यह भारत में पहली बार है जब टाटा स्टील कोयला खदानों की बैकफिलिंग के लिए इस तकनीक का उपयोग कर रही है। साथ ही मौजूदा सैंड स्लरी बैकफिलिंग विधि के विपरीत है और जो बोरहोल चोकिंग, पृथक्करण और ढेर लगाने की समस्याओं का कारण बनती है। पेस्ट फिलिंग की तकनीक अपने सेल्फ लेवलिंग और सीमेंटेड फ्लाई ऐश पेस्ट के नियंत्रित प्रसार के माध्यम से उच्च दक्षता प्राप्त करती है। विभिन्न संयोजन और प्रवाह गुणों वाले पेस्ट को डिगवाडीह कोलियरी में रेलवे लाइन के नीचे खाली स्थानों में डाला जाएगा। इस परीक्षण की सफलता मौजूदा साइट पर 1 किमी से अधिक लंबाई की खाली जगहों को भरने के लिए मोबाइल सेट-अप के विकास और उत्पादन एवं माइन फायर साइट्स पर संभावित अनुप्रयोगों का मार्ग प्रशस्त करेगी। यह तकनीक न केवल खदानों को भरने के लिए नदी की रेत का पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करती है,। बल्कि इसका उद्देश्य रेलवे लाइनों, राजमार्गों और भूमिगत कोलियरियों के ऊपर स्थित स्थाई संरचनाओं के नीचे दुर्गम स्थानों में सुरक्षा बढ़ाना भी है। टाटा स्टील, सीएसआईआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च और आईआईटी-खड़गपुर के बीच सहयोग से विकसित यह तकनीक भविष्य के अनुप्रयोगों के लिए आशाजनक संभावनाएं भी दर्शाती है।इस अवसर पर नरेंद्र कुमार गुप्ता, चीफ (जामाडोबा ग्रुप), मयंक शेखर चीफ (सिजुआ ग्रुप), राजेश चिंतक, चीफ एचआरबीपी (रॉ मैटेरियल्स), डॉ वीरेंद्र सिंह प्रिंसिपल साइंटिस्ट रिसर्च एंड डेवलपमेंट टाटा स्टील और डॉ संतोष कुमार बेहरा सीनियर साइंटिस्ट सीएसआईआर- सीआईएफ एमआर धनबाद भी मौजूद थे।

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