टाटा स्टील ने जमशेदपुर प्लांट में बनाया नया कीर्तिमान

 

एच ब्लास्ट फर्नेस ने 50 मिलियन टन उत्पादन का आंकड़ा किया पार

 

जमशेदपुर : टाटा स्टील ने बुधवार एक महत्वपूर्ण कीर्तिमान बनाया है। जब जमशेदपुर स्थित कंपनी के पहले बड़े पैमाने के एच-ब्लास्ट फर्नेस ने 50 मिलियन टन हॉट मेटल उत्पादन का आंकड़ा पार कर लिया है। यह उपलब्धि एच ब्लास्ट फर्नेस को भारत का पहला ऐसा फर्नेस बनाती है, जिसने बिना किसी मध्यवर्ती मरम्मत के इस उपलब्धि को हासिल किया है और स्टील उद्योग के लिए एक नई मिसाल कायम की है। वहीं‘एच’ ब्लास्ट फर्नेस 2008 में चालू किया गया था। जिसका कार्यशील आयतन 3230 एम³ है। अपनी शुरुआती समय से ही इस फर्नेस ने अपनी निर्धारित क्षमता से लगभग 20 प्रतिशत अधिक उत्पादन बरकरार रखा है। साथ ही हर साल 3 मिलियन टन से अधिक उत्पादन किया है। यह उपलब्धि प्लांट की प्रक्रिया नियंत्रण, परिचालन दक्षता और क्रॉस-फंक्शनल टीमों की तत्परता का अद्वितीय प्रमाण है। जिन्होंने निरंतर चुनौतियों का सामना किया और नवाचार पूर्ण समाधानों के साथ उत्कृष्टता पर ध्यान केंद्रित किया। इस संबंध में टाटा स्टील के वीपी ऑपरेशंस चैतन्य भानु ने कहा कि 50 मिलियन टन हॉट मेटल उत्पादन बिना किसी मध्यवर्ती मरम्मत के हासिल करना कंपनी के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह हमारे टीमों की असाधारण इंजीनियरिंग और परिचालन क्षमता का जीवंत प्रमाण भी है। “एच ब्लास्ट फर्नेस ने उत्पादकता और दक्षता के नए मानक स्थापित किए हैं। यह हमारे सतत और नवोन्मेषी स्टील निर्माण दृष्टिकोण के प्रति हमारी गहरी प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करता है। यह सफलता न केवल हमें स्टील उद्योग में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में मजबूती प्रदान करती है। बल्कि हमें उत्कृष्टता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रेरित भी करती है। वहीं वर्षों से एच ब्लास्ट फर्नेस ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण सम्मान भी प्राप्त किया है। यह लगातार नौ वर्षों तक भारत में सबसे उच्च कोल इंजेक्शन का रिकॉर्ड कायम रखता है और अपनी ऊर्जा-बचत नवाचारों के लिए भारत के राष्ट्रपति से सम्मानित प्राप्त कर चुका है। इसके अलावा इसने हॉट मेटल गुणवत्ता में उद्योग के लिए नए मानक स्थापित किए हैं। खासकर सिलिकन सामग्री पर सख्त नियंत्रण बनाए रखते हुए। वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन ने इस फर्नेस की प्रोसेस सेफ्टी में असाधारण अभ्यासों को दो वर्षों तक मान्यता दी है और जो इसकी निरंतर सफलता का स्पष्ट प्रमाण है।

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