बड़कागांव के पंकरीबरवाडीह में मेगालिथ स्थल पर इक्विनोक्स का नजारा देखने पहुंचे खगोल प्रेमियों का मंसूबे पर फिर पानी

  • 👉 आसमान में छाए बादल सूर्योदय का नजारा देखने के लिए बना बाधक

बड़कागांव: बड़कागांव के पंकरी बरवाडीह गांव स्थित भोक्ता स्थान पर 23 सितंबर की सुबह 6:10 बजे इक्वीनोक्स (समदिवारात्रि) के खूबसूरत सूर्योदय का नजारा को देखने पहुंचे खगोलप्रेमी के मंसूबे पर आसमान में छाए बादल बाधक बनकर आखिरकार पानी फेर ही दिया।

23 सितंबर को सूर्य शून्य डिग्री पर होता है जिसके कारण दिन व रात बराबर होती है। दूसरे दिन सूर्य 24 सितंबर से मकर रेखा की तरफ दक्षिणी गोलार्द्ध की ओर अग्रसर होते दिखाई देता है। इस दिन से दिन छोटी तथा रात बड़ी होती है। इस दिन सूर्य का उत्तरायण से दक्षिणायन होते नजारा वहां खड़े ‘वी’ आकार के दो महापाषाणों (मेगालिथ) के बीच से एक निश्चित जगह बने पत्थर के पास से ही दिखता है। यह खगोलीय घटना देखने की परंपरा अतिप्राचीन मानवों खासतौर पर आदिवासियों के सटीक गणितीय गणना और उनके अध्यात्म से जुड़ी है। पंकरी बरवाडीह जैसे गिने-चुने इक्वीनोक्स स्थल ही विश्व में है। भारत में यह इकलौता, ऐतिहासिक और अनोखा इक्वीनोक्स स्थल है। ऐसे स्थल इंग्लैंड के न्यूग्रेंज और हेरेंज में देखने को मिलते हैं, जहां इक्वीनोक्स के अनोखे सूर्योदय का नजारा देखने के लिए दुनियाभर के लाखों लोग जुटते हैं।

इसकी खोज वर्ष 2000 में मेगालिथ शोधकर्ता सह खोजकर्ता हजारीबाग नवाबगंज निवासी शुभाशीष दास ने की थी। बड़कागांव का पंकरी बरवाडीह स्थित इक्वीनोक्स स्थल है जो देश और दुनिया में प्रसिद्ध है। यह नजारा वर्ष के 2 दिन 21 मार्च एवं 23 सितंबर को जब रात और दिन बराबर होती है इसी दिन देखने को मिलती है। लेकिन इस वर्ष लगातार तीन दिनों तक मूसलाधार बारिश तथा आसमान में छाए बादल के कारण खगोल प्रेमियों के मनसूबे पर पानी फिर गया। बादल गिरे रहने के कारण सूर्योदय का नजारा देखा नहीं जा सका।

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