कतरास में झमाडा की जलापूर्ति दो दिनों से ठप रहने के बाद गुरुवार को चला पानी लोगो ने लिया राहत की सांस 

कतरास: कतरास में दो दिनों से झमाडा की जलापूर्ति नहीं होने से लोग परेशान रहे. तीसरे दिन यानि गुरुवार को खुला पानी लोगो ने लिया राहत की सांस.उल्लेखनीय है कि धनबाद का हृदय स्थल कहे जाने वाले शहर कतरास की शहरी आबादी तोपचांची झील के पानी पर ही आश्रित है। तोपचांची झील में कई वर्षो से गाद की सफाई नहीं होने से बरसात का पानी सही ढंग से जमा नहीं हो पाता है नतीजतन प्रत्येक वर्ष कतरास को जलसंकट का सामना करना पड़ता है।

विडम्बना तो इस बात की है चारों ओर से यह शहर बीसीसीएल की विभिन्न कोलियरियों से घिरा है और बीसीसीएल के खदानों का पानी नालियों में बहा दिया जाता है परन्तु उसे आमलोगों को मुहैया नहीं कराया जाता है जबकि कानूनन किसी भी कंपनी को अपने आस-पास के इलाकों में जनसुविधा उपलब्ध कराना अनिवार्य है। कितने अधिकारी आये और गये, कितने विधायक व सांसद आये और गये। सूबे में भी कितने मुख्यमंत्री बदल गये परन्तु किसी का भी इस ओर ध्यान नहीं गया नतीजतन लोग आजादी के 56 साल बाद भी आज अंग्रेजों के बनायें गये तकनीक पर तोपचांची झील से कंड्यूड पाइपलाइन के सहारे बिना मोटर, बिना बिजली के जलापूर्ति का लाभ ले रहें परन्तु सिस्टम में सुधार नहीं होने से लोग पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।पर सवाल उठता है कि आखिर फ्रिक किसे है।कुछ लोगो का कहना है स्थानीय विधायक एवं कई नेता कतरास बाघमारा में है फिर भी तोपचांची के ऊपर ध्यान नहीं देते है.इन नेताओं को चुनाव के समय वोट चाहिए. जनता की मूल सुविधा से भी इसे कोई लेना देना नहीं है. कतरास के लोगो ने कहा इस बार तोपचांची झील के गाद साफ नहीं किया गया और इस पर स्थानीय नेता प्रशासन ध्यान नहीं दिया तो हमलोग पानी को लेकर आंदोलन करने पर बाध्य हो जायँगे.

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