सरकारी शराब दुकान के कर्मचारियों को मैनपॉवर कंपनी ने चार माह से नहीं दिया है वेतन, स्थिति बद से बद्तर 

श्रम कानूनों की भी की जा रही है अवहेलना, विभाग मौन

जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम जिले के 110 सरकारी शराब दुकानों में कार्यरत 330 कर्मचारियों को बीते 4 माह से मैनपॉवर कंपनी वेबल टेक्नोलॉजी एंड वैनरी द्वारा वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। जिसके कारण कर्मचारियों की स्थिति बद से बद्तर हो गई है। इन कर्मचारियों में सुपरवाइजर और सेल्समेन दोनों शामिल है। वहीं वेतन ना मिलाने के कारण कर्मचारियों के ऊपर कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। किसी कर्मचारी के घर का किराया बाकी है तो किसी कर्मचारी का राशन की दुकान की उधारी। बावजूद इसके कर्मचारी पूरी मेहनत से सरकारी दुकानों में अपना काम कर रहे हैं। सिर्फ यही नहीं मैनपॉवर कंपनी श्रम कानून के नियमों की भी अवहेलना कर रहा है। जिसके तहत शराब दुकान में कार्यरत सुपरवाइजर को मैनपॉवर कंपनी द्वारा लगभग 13 से 14 हजार रुपए वेतन देना था। मगर मैनपॉवर कंपनी उसे 11500 रुपए ही वेतन दे रही है। इसी तरह सेल्समेन को लगभग 12000 रुपए तक वेतन मिलना चाहिए था। मगर उसे 9000 रुपए का वेतन दिया जा रहा है। एक तरफ तो मैनपॉवर कंपनी वेबल टेक्नोलॉजी एंड वैनरी द्वारा कर्मचारियों को चार माह से वेतन नहीं दिया गया है। वहीं दूसरी तरफ कंपनी ने सितंबर और अक्टूबर तक का बिना वेतन ही जीएफ भी जमा कर दिया है। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि मैनपॉवर कंपनी सरकार को अंधेरे में रखकर अपना धंधा चला रही है। जिसके तहत सरकार से कर्मचारियों के एवज में मिली हुई राशि को मैनपॉवर कंपनी रोल करने में लगी हुई है। जबकि इससे पूर्व साढे तीन माह तक मैन पावर का काम किए हुए सुमित फैसिलिटीज नामक कंपनी ने भी कर्मचारियों का शोषण किया है। उस दौरान सुपरवाइजर को लगभग 12000 रुपए और सेल्समैन को 9800 रुपए वेतन दिया जाता था। बावजूद इसके विभाग को इसकी भनक तक नहीं है। बहुत आश्चर्य की बात है कि सरकारी शराब दुकान में सरकारी श्रम कानून का ही उलझन हो रहा है। मगर इसे देखने वाला कोई नहीं। इस संबंध में जब हमने मैनपॉवर कंपनी के को-ऑर्डिनेटर बबलू सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि ऑडिट होने के कारण 4 माह से कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है। मगर तीन-चार दिनों में सभी को वेतन दे दिया जाएगा। वहीं कम वेतन मिलने की बात कहने पर उन्होंने कहा कि जो विभाग से निर्धारित है वही वेतन दिया जा रहा है। जबकि जिले के सहायक आयुक्त उत्पाद रामलीला रवानी ने कहा कि हमने मैनपावर कंपनी को दो दिनों के अंदर वेतन देने को कहा है। जहां तक रही ऑडिट की बात तो वह हर महीने होती है। मगर इसका कर्मचारियों के वेतन से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं कम वेतन मिलने की बात पर उन्होंने कहा कि श्रम कार्यालय से कर्मचारियों के लिए निर्धारित वेतन चार्ट की प्रति उन्हें लाकर दें। जिसके बाद इसी आधार पर सभी का वेतन दिलाया जाएगा।

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