बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने नए भारत की बुनियाद रखा
जब भारत 18 वीं सदी में रूढ़िवाद जातिवाद अशिक्षा गरीबी, सोशल अत्याचार से जूझ रहा था उस वक्त बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एक न्याय पुरुष के रूप में अवतार लिए। भारतीय समाज को उबारने के लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ा। राष्ट्र के निर्माण के लिए इन्होंने सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक नैतिक क्षेत्र में आदित्य कार्य किया। देश को शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और संघर्ष के मुद्दों पर चिंतन करने का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने जीवन में शिक्षा और संघर्ष के माध्यम से बड़ी- बड़ी चुनौतियों को हल किया। इन्होंने भारतीय संविधान निर्माण कर भारत को विश्व में अनूठी पहचान दिलाया क्योंकि भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है इसीलिए भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश कहा जाता है। भारत को राजतंत्र व ब्रिटिश तंत्र से मुक्ति दिलाकर लोकतांत्रिक देश का निर्माण किया इसीलिए इन्हें राष्ट्र का निर्माता कहा जाता है।
बाबा साहब का जन्म
डॉ. अम्बेडकर और सबके बाबा साहब का जन्म 14 अप्रैल सन् 1891 को मध्य प्रदेश में महू नगर सैन्य छावनी में स्थित एक रविदास जाति में हुआ था। उनका बचपन भारी भेदभाव के बीच गुजरा क्यों कि रविदास जाति को समाज में अछूत के रूप में देखा जाता था। तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियां असमानता के वातावरण से पटी पड़ी थी। ऊंच नीच और सामाजिक भेदभाव के तंग माहौल में पले बढ़े बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने सामाजिक समानता की संवैधानिक ढांचे की तामीर की।
स्कूल में जिस बालक भीम को कभी बैठने के लिए पहली सीट न मिली, नल से स्वम् पानी पीने का अधिकार न मिला, कक्षा में जिसके सवाल- जवाब को तवज्जो न दी गई, उसने गरीब, मजदूर, किसानों, महिलाओं और समाज के हर शोषित वंचित तबकों की संसद में आवाज बुलंद की और सामाजिक न्याय की संवैधानिक लड़ाई लड़ी। जिसका परिणाम है कि भारत आज सबका साथ सबका विकास के मंत्र के साथ दुनिया की आंखों में आंखें डाल विकास की महाशक्ति बनने के लिए अग्रणीय खड़ा है।
बाबा साहब ने मौलिक अधिकार देकर नागरिकों को किया कल्याण
बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान में भारत के हर नागरिकों को मौलिक अधिकार देकर उन्हें कल्याण करने का काम किया है इन्होंने जातिवाद शोषण भ्रष्टचार, अत्याचार से भी मुक्ति दिलाया, महिला उत्पीड़न को खत्म किया है। पुरुषों के समान महिलाओं को हर क्षेत्र में अधिकार दिलाया। हर वर्ग के लोगों को रोजगार शिक्षा संस्कृति में समानता का अधिकार दिया। अगर किसी व्यक्ति या संस्थान के द्वारा किन्ही भारतीय नागरिक को मौलिक अधिकार से अगर वंचित किया जाता है, अनुच्छेद 32 के तहत अपने हर अधिकार पाने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जा सकता है, जिससे वह नागरिक को हर अधिकार मिल सकता है। इसलिए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने अनुच्छेद 32 को भारतीय संविधान का आत्मा कहा है।
बाबा साहब ने नए भारत की बुनियाद रखी
बाबा साहेब आजादी का वास्तविक अर्थ बेड़ियां तोड़ने के साथ साथ कमजोर तबकों का संपूर्ण विकास होने तक जोड़ते थे। 15 अगस्त 1947 के ऐतिहासिक दिन भारत आजाद हुआ और 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ। जिसके साथ डॉ. अंबेडकर ने एक नए भारत की बुनियाद रखी।
डॉ. अंबेडकर ने दलितों के मध्य शिक्षा और संस्कृति के प्रसार के लिए कई आंदोलन और संगठन बनाए जैसे वर्ष 1923 में बहिष्कृत हिकारिणी सभा की स्थापना, 1930 में कलाराम मंदिर के बाहर विरोध प्रदर्शन, 1930-32 तक तीनों गोलमेज सम्मेलन में ‘अछूतों’ के हितों पर अपने सशक्त विचार रखे। वर्ष 1932 में महात्मा गांधी जी के साथ ऐतिहासिक पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किए। जिसके फलस्वरूप पृथक निर्वाचन मंडल के विचार को त्याग कर दलितों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या प्रांतीय विधानमंडलों में 71 से बढ़ाकर 147 तथा केंद्रीय विधानमंडल में कुल सीटों का 18% कर दी गई। बाबा साहेब ने हिंदू कोड बिल के संदर्भ में महिलाओं के अधिकारों की वकालत की जो महिलाओं के हक पर बात करने एक क्रांतिकारी कदम था।
बाबा साहेब का नई राजनीतिक पार्टी का किया था गठन
वर्ष 1936 में डॉ. अंबेडकर ने स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की। 14 अक्तूबर, 1956 को आपने अपने कई अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण किया। उसी वर्ष उन्होंने अपना अंतिम लेखन कार्य ‘बुद्ध एंड हिज धर्म’ पूरा किया वर्ष 1990 में डॉ. बी. आर. अंबेडकर को भारत रत्न पुरस्कार से नवाजा गया। मजदूरों के नेता डॉ.अम्बेडकर हर मंच पर वंचित वर्गों की आवाज बने।