मध्यकालीन कर्णपुरा राज की राजधानी था बादम
संजय सागर
बड़कागांव : झारखंड के चक्रवर्ती सम्राट राजा हेमंत सिंह के बादम के किले का पूरे छोटानागपुर में तूती चलती थी. भारतवर्ष के जाने-माने राजाओं में इस वंश के राजा हेमंत सिंह काफी नामी- गिरामी रहा करता था. लेकिन अब अब आठ – आठ आंसू बहा रहा है. प्रशासनिक देखरेख के अभाव में कर्णपुरा व रामगढ़ राज के बादम का किला झाड़ियां से छुप गया है. यह किला अब खंडहर में तब्दील हो गया है.
बादम किला झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिले बड़कागांव प्रखंड में स्थित है. यह बादम चौक से 500 मीटर की दूर गोंदलपुरा रोड स्थित हहारो नदी के तट पर है. नदी के तेज बहाव के कारण राजा हेमंत सिंह व राजा दलील सिंह के महल ध्वस्त हो गया है जबकि दो तल्ला किले का अवशेष अभी भी बचा हुआ है. जो खंडहरों में तब्दील हो गया है. उसने देखने का अभाव में अब यह किला जुआड़ियो, गंजरियों एवं ब्राउन शुगर वाले लोगों का अड्डा बन चुका है.
किले का ऐतिहासिक सफर
बादम का किला मुगलकालीन किला है. राजा हेमंत नारायण सिंह इसी वंश से छठे राजा थे. वह करणपुर रियासत के सबसे प्रसिद्ध राजा के रूप में जाने जाते हैं. राजा हेमंत नारायण सिंह का शासन काल सन 1604 से सन 1661 तक रहा था. राजा हेमंत नारायण सिंह ने 57 वर्षो तक इस रियासत पर शासन किया था. अपने शासन काल में राजा हेमंत नारायण सिंह ने सन 1642 में बादम किले का निर्माण कार्य पूरा कराया था. हेमंत नारायण सिंह के बाद राजा दलेल सिंह यहाँ इस महल में रहने वाले आखिरी राजा थे. राजा दलेल सिंह ने मुगलो के आतंक के कारण अपनी राजधानी बादम से हटाकर रामगढ़ स्थानांतरित कर दी थी. रामगढ़ बादम से लगभग 30 मील की दूरी पर स्थित है. बाद में उनके वंशजों ने पदमा में महल का निर्माण कराया था .
बादम किला को पटना के कारीगर बनवाया था
राजा हेमंत नारायण सिंह ने बादम किले के निर्माण कार्य को कराने के लिए कारीगरों को पटना से बुलवाया था. उस समय किले के निर्माण करने के लिए एक ऊंचे स्थान को तलाशा गया जो कि बदमाही नदी के सबसे पास था. तब एक पहाड़ी पर किले का निर्माण कराया गया. जब बादम किला बनाया गया उस समय इसमें दो मंजिले थीं. किले की ऊपर वाली मंजिल पर राजा रानी का निवास था और नीचे की मंजिल में सैनिक, उनके घुड़सवार, हाथी, महावत आदि रहा करते थे.
पत्थर व लाल मिट्टी से किले हुआ था निर्माण
बादम किले के निर्माण में पत्थर और लाल मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है. किले के निर्माण कार्य में ईटों को आपस में जोड़ने के लिए चूना, गुड़ और उड़द की दाल का प्रयोग किया गया था.
बादम किला का सिंहद्वार होता जा रहा है ध्वस्त
बादम किले के मुख्य द्वार को सिंहद्वार के नाम से जाना जाता है. किले में ऊपर की मंजिल तक जाने के लिए सीढ़ियां भी बनवाई गई थी. सीढ़ी द्वारा ऊपर की मंजिल में जाने पर दिखाई देने वाले झरोखों से बदमाही नदी को देखा जा सकता है. इसके कमरों को इस प्रकार बनाया गया था कि यहां पर गर्मी के दिनों में भी ठंडक का एहसास होता रहता था.