6 दिसंबर डॉ भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर विशेष

डॉ अंबेडकर ने दलित पिछड़ा ही नहीं, बल्कि हर जातिवाद धर्म के लोगों को हक और अधिकार दिलाया

संजय सागर

बड़कागांव: बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि को महानिर्वाण दिवस के रूप में 6 दिसंबर को पूरे भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है. बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आधुनिक क्रांति लायी. उन्होंने दलित, पिछड़ा एवं महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि हर जाति, धर्म के लोगों के हक और अधिकार दिलाने के लिए संविधान लिखा है. भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार एवं मौलिक कर्तव्य में केवल दलित और पिछड़ा वर्गों के लिए ही नहीं बल्कि हर जाति व धर्म के लोगों के हित, अधिका, स्वतंत्रता, रोजगार, सामानता का उल्लेख किया है. यही कारण है कि बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हर जाति और धर्म एवं पूरी दुनिया में एक विचार की क्रांति के रूप में स्थापित हुई है. बाबा साहब ने गोलमेज सम्मेलन में अवसादग्रस्त वर्गों के प्रतिनिधि के रूप में अम्बेडकर ने क्रूर जमींदारों के चंगुल से किसानों को आजाद कराने, उनके लिए सभ्य काम करने की स्थिति, जीवित मजदूरी तथा उनकी स्वतंत्रता के लिए आग्रह किया. उन्होंने उन धार्मिक बुराइयों को दूर करने के लिए भी संघर्ष किया. जिन्होंने गरीबों के जीवन को प्रभावित किया.

उन्होंने भूमिहीन, गरीब काश्तकारों, कृषकों और श्रमिकों की जरूरतों और शिकायतों को पूरा करने के लिए 1936 में एक व्यापक कार्यक्रम के साथ इंडीपैंडेंट लेबर पार्टी (आई.एल.पी.) का गठन किया. 1937 में नवनिर्वाचित भारत सरकार अधिनियम 1935 के तहत बॉम्बे विधानसभा के पहले चुनाव में लड़ी गई 17 सीटों में से 15 सीटें जीत कर आई.एल.पी. ने शानदार सफलता हासिल की. 17 सितम्बर 1937 को बॉम्बे विधानसभा के पूना सत्र के दौरान उन्होंने कोंकण में भूमि अवधि की खोती प्रणाली को समाप्त करने के लिए एक विधेयक प्रस्तुत किया. 26 नवम्बर, 1945 को नई दिल्ली में आयोजित भारतीय श्रम सम्मेलन को संबोधित करते हुए, अम्बेडकर ने प्रगतिशील श्रम कल्याण कानून लाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया. ‘मजदूर अच्छी तरह से कह सकता है कि इस तथ्य को समझने के लिए ब्रिटिश को श्रम कानून का उचित कोड होने में 100 वर्ष लग गए. कोई तर्क नहीं कि भारत में भी हमें 100 वर्ष लगने चाहिएं। इतिहास हमेशा एक उदाहरण नहीं है.अधिक बार यह एक चेतावनी है.’कम्युनिस्टों ने अपने अंत की प्राप्ति के लिए कितने लोगों की हत्याएं कीं.

अम्बेडकर ने माक्र्सवादी स्थिति को स्वीकार नहीं किया कि निजी सम्पत्ति का अंत गरीबी और पीड़ा को समाप्त करेगा. बुद्ध या कार्ल माक्र्स बारे अम्बेडकर लिख्रते हैं, ‘क्या कम्युनिस्ट यह कह सकते हैं कि अपने मूल्यवान अंत को प्राप्त करने में उन्होंने अन्य मूल्यवान सिरों को नष्ट नहीं किया है? उन्होंने निजी सम्पत्ति को तबाह कर दिया.यह मानते हुए कि यह एक मूल्यवान अंत है, क्या कम्युनिस्ट यह कह सकते हैं कि इसे प्राप्त करने की प्रक्रिया में अन्य मूल्यवान अंत को नष्ट नहीं किया है. अपने अंत की प्राप्ति के लिए उन्होंने कितने लोगों की हत्याएं की हैं? क्या मानव जीवन का कोई मूल्य नहीं है. क्या मानव जीवन का कोई मूल्य नहीं है? क्या वे मालिक की जान लिए बिना सम्पत्ति नहीं ले सकते थे?’

 

अंबेडकर से प्रेरित होकर मोदी सरकार ने उठाई सकारात्मक कदम

 

श्रम बिरादरी एक विशेष सलामी की हकदार है

अम्बेडकर से प्रेरित होकर, वर्तमान मोदी सरकार ने श्रमिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए कदम उठाए है.उदाहरण के तौर पर, प्रधानमंत्री ने वृद्धावस्था में असंगठित मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री श्रम योजना-धन योजना शुरू की थी। श्रम सुविधा पोर्टल जैसे तकनीकी हस्तक्षेप के माध्यम से श्रम कानून के परिवर्तन में पारदॢशता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाती है। सरकार मौजूदा केंद्रीय श्रम कानूनों के प्रावधानों को 4 श्रम संहिताओं-मजदूरी पर श्रम संहिता, औद्योगिक संबंधों पर, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण तथा स्वास्थ्य और कार्य स्थितियों को सरलीकृत, मिश्रित करने तथा तर्कसंगत बनाने के लिए कार्य कर रही है.

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