मेरठ, 18 जनवरी (हि.स.)। मेरठ में एंटी करप्शन विभाग की टीम ने समाज कल्याण विभाग के सुपरवाइज़र को 75 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। एससी-एसटी के मामले में किस्त जारी करने के नाम पर आरोपित ने पीड़ित से रिश्वत मांगी थी। आरोपित के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
बहसूमा निवासी संदीप कुमार ने एंटी करप्शन की मेरठ यूनिट में 16 जनवरी को समाज कल्याण विभाग के सुपरवाइज़र मनोज कुमार द्वारा रिश्वत मांगने की शिकायत की थी। एससीएसटी केस की किस्त रिलीज करने के नाम पर 75 हजार रुपए रिश्वत मांगी गई थी। जिसके बाद एंटी करप्शन यूनिट के इंस्पेक्टर बसंत कुमार के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया।
गुरुवार को एंटी करप्शन टीम संदीप कुमार के साथ जसवंत राय हॉस्पिटल के सामने एक चाय की दुकान पर पहुंची। तभी सुपरवाइज़र मनोज कुमार का फोन संदीप कुमार के नंबर पर आया। इस दौरान संदीप ने सुपरवाइज़र को चाय की दुान पर बुला लिया। जैसे ही संदीप कुमार ने सुपरवाइज़र मनोज कुमार को 75 हजार रुपए की रिश्वत दी, तभी निकट ही बैठी एंटी करप्शन की टीम ने आरोपित को रंगे हाथ दबोच लिया। इसके बाद आरोपित को सिविल लाइंस थाने ले जाया गया। आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। इसके बाद पुलिस आरोपित से पूछताछ में जुट गई। मनोज कुमार लंबे समय से समाज कल्याण विभाग में सुपरवाइजर के पद पर तैनात है। मनोज कुमार पर सपा और बसपा सरकार में भी रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप लगा चुके हैं।
एंटी करप्शन के इंस्पेक्टर बसंत कुमार ने बताया कि समाज कल्याण विभाग में तैनात सुपरवाइजर संदीप कुमार से एससी-एसटी एक्ट की किस्त को रिलीज करने के नाम पर 75 हजार रुपए की रिश्वत मांगी जा रही थी। शिकायतकर्ता संदीप कुमार का एक वर्ष पहले हस्तिनापुर स्थित बंगाली बाजार में कुछ लोगों से विवाद हो गया था। संदीप कुमार ने आरोपितों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया। संदीप को सरकार द्वारा दी जाने वाली मदद की सभी किस्त मिल चुकी हैं। केवल एक लाख रुपए बाकी थे, जिसे रिलीज कराने के नाम पर सुपरवाइजर मनोज रुपए मांग रहा था।