जमशेदपुर : विधायक सरयू राय ने सरकार से आग्रह किया है कि विधानसभा का बजट सत्र 2024-25 की अवधि बढ़ाकर होली के पहले तक यानी 22 मार्च तक करें। उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 24-25 का बजट सत्र वर्तमान पंचम विधानसभा का अंतिम बजट सत्र होगा। जिसमें सदस्यों के समक्ष वाद-विवाद के दौरान गत सभी वर्षों का लेखा-जोखा सामने आना चाहिए। इसलिए आवश्यक है कि यह बजट सत्र कम से कम 18 से 20 दिन का होना चाहिए। उन्हें सूचना मिली है कि सरकार ने विधानसभा का बजट सत्र (2024-25) आहूत करने के लिए राज्यपाल के समक्ष जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें केवल 8 दिन का बजट सत्र होगा। जिसमें से एक दिन शोक प्रस्ताव के रूप में, एक दिन सदन के समक्ष बजट रखने के दिन में के अलावा कम से कम एक दिन 24-25 का बजट उपस्थापन एवं तृतीय अनुपूरक (23-24) का बजट पर वाद-विवाद में लग जाएगा। यानी बजट पर वाद-विवाद के लिए मात्र 5 दिन ही बच जायेंगे। इसमें से एक दिन की कार्यवाही का बड़ा हिस्सा सदस्यों के निजी संकल्पों पर बहस में चला जाएगा। इस हिसाब से सरकार और पंचम विधानसभा का अंतिम बजट सत्र में राज्य के वित्तीय स्थिति के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए काफी कम समय बचता है। यदि हम पंचम झारखण्ड विधानसभा के विभिन्न बजट सत्रों की कार्यावधि को देखे तो वित्तीय वर्ष 2020-21 में 18 दिन, 2021-22 में 16 दिन, 2022-23 में 17 दिन और 2023-24 में 17 दिन का बजट सत्र हुआ। यानी वर्ष 2021-22 में सबसे कम 16 दिन और 2020-21 में सबसे अधिक 18 दिनों का बजट सत्र हुआ। इस दृष्टिकोण से कम से कम 18 से 20 दिनों का बजट सत्र इस वर्ष अवश्य होना चाहिए। वहीं वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट सत्र आहूत करने के विषय में उन्हें दूरभाष पर राज्य के संसदीय कार्य मंत्री, राज्यपाल के प्रधान सचिव और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव से वार्ता कर उन्हें अपनी भावना से अवगत कराया। उन्हें लगता है कि जिस तरह से भारत सरकार ने वर्ष 2024-25 के बजट सत्र में देश के सामने अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र रखा है, उसी प्रकार झारखण्ड सरकार को भी अपने कार्यकाल के अंतिम बजट सत्र में राज्य की अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र सदन के समक्ष रखना चाहिए। ज्ञातव्य है कि जब यह सरकार बनी थी, तब वर्ष 2020-21 में इस सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र जारी किया था। व्यवहारिक होगा कि वर्ष 2024-25 के बजट सत्र में भी राज्य की अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र रखा जाय। आज राज्य सरकार की मंत्रिपरिषद की बैठक होनेवाली है और आज ही झारखंड के राज्यपाल भी रांची में रहेंगे। ऐसी स्थिति में सरकार को चाहिए कि बजट सत्र की अवधि बढ़ाकर होली के पूर्व के कार्य दिवस तक ले जाए। यानी इस बजट सत्र का आरंभ 23 फरवरी को हो रहा है तो इस सत्र का अवसान 22 मार्च को हो। तब विभिन्न विभागों के बजटों की बारिकियों पर चर्चा करने के लिए सदन को 20 कार्य दिवस का समय मिलेगा। उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व वर्ष 2024-25 का बजट सत्र 9 फरवरी से आरंभ होकर 29 फरवरी तक चलने वाली थी। जिसमें कुल 14 कार्य दिवस घोषित थे। हम सभी अवगत है कि राज्य सरकार का बजट केवल राज्य की वित्त का लेखा-जोखा का पुलिंदा ही नहीं होता। बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था और प्रशासनिक व्यवस्था का आईना भी होता है। उनका राज्य सरकार से अनुरोध है कि आज की मंत्रिपरिषद की बैठक में बजट की अवधि 22 मार्च तक बढ़ाएं। यदि यह महसूस हो कि राज्य की वर्तमान सरकार अभी-अभी बनी है और इसके कैबिनेट का विस्तार अब तक नहीं हुआ है तो ऐसी स्थिति में यदि राज्य सरकार संपूर्ण वार्षिक बजट पर चर्चा करने की स्थिति में नहीं है तो सरकार को सदन के समक्ष वर्ष 2024-25 का बजट रखकर इस पर तीन माह का लेखा अनुदान ले लेना चाहिए। ताकि जून माह तक सरकार का काम चलाने के लिए निधि की व्यवस्था विधानसभा करें। साथ ही जून माह में सरकार पूरा बजट पारित कराए। तब तक लोकसभा का चुनाव प्रक्रिया भी सम्पूर्ण हो जाएगा और केन्द्र सरकार से राज्य को विभिन्न मदों में मिलने वाले सहायता अनुदान, ऋण तथा बाजार ऋण की स्थिति भी स्पष्ट हो जाएगा। ऐसा होने से आगामी नवंबर माह में विधानसभा का चुनाव घोषित होने के पूर्व राज्य की अर्थव्यवस्था की सुदृढ़ता का ठोस आकलन भी हो जाएगा। किसी भी सूरत में मात्र 8 दिनों की अवधि में सम्पूर्ण बजट पर वाद-विवाद करना संभव नहीं हो पाएगा। अधिकांश विभागों के बजट गिलोटिन (बहस बंद) हो जायेंगे और सदन का बजट व्यय स्वीकृत कर चर्चा के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाएगा।
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