सिमरिया के विधायक किशुन कुमार दास ने विधानसभा के बजट सत्र में उठाया
वर्ष 1956 के गजट के अनुसार झारखंड में लोहड़िया जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल हो
टंडवा: झारखंड में लोहड़िया जाति की वर्तमान सामाजिक स्थिति को लेकर झारखंड विधानसभा में सिमरिया विधायक किशुन कुमार दास ने सवाल उठाया है।उन्होंने सदन के माध्यम से राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि झारखंड में करीब 4500 लोहरिया जाति की आबादी वर्षों से पीढ़ी दर पीढ़ी रह रही है।लेकिन राज्य सरकार ने जवाब में कहा है कि इस संबंध में कोई संपुष्ट आंकड़ा विभाग को उपलब्ध नहीं है।विधायक किशुन कुमार दास ने सरकार से जानना चाहा कि लोहड़िया जाति बिहार सरकार कल्याण विभाग के वेलफेयर मैन्युअल गजट के 1950 ई के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति के सूची में दर्ज है जिसका क्रमांक 20 पर लोहडिया अंकित है जिसे सन 1956 के संशोधित मैन्युअल गजट लोहरिया के स्थान पर लोहरा/ लोहारा अंकित कर दिया गया जो टंकनीय भूल है ।राज्य सरकार से लहरिया जाति के रहन-सहन रीति रिवाज भी अनुसूचित जनजाति में वर्णित जातियों की तरह है ।लेकिन लोहड़िया जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में सम्मिलित करने के बिंदु पर डॉ रामदयाल मुंडा जनजाति कल्याण शोध संस्थान रांची से प्रतिवेदन की मांग की गई है लेकिन प्रतिवेदन अब तक अब अप्राप्त है। संस्थान के द्वारा सूचित किया गया है कि अध्ययन अभी प्रक्रियाधीन है। लोहड़िया जाति को बिहार में अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त है ।लेकिन झारखंड के कई अंचलों में लोहड़ियाजाति को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र नहीं बनाया जा रहा है जिससे वर्णित जाति मूलभूत सुविधाओं से अब तक वंचित है ।हालांकि राज्य सरकार ने विभागीय परिपत्र संख्या 1754, दिनांक 25 फरवरी 2019 एवं अन्य अनुषंगी परिपत्रों के द्वारा जाति प्रमाण पत्र निर्धारित करने के लिए विस्तृत अनुदेश निर्गत है जिसके आलोक में झारखंड राज्य अनुसूचित जाति/जनजाति सूची में सूचीबद्ध जातियों के सदस्यों को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है।झारखंड विधानसभा में लोहड़िया जाति का मामला उठाकर सिमरिया के विधायक किशुन कुमार दास ने प्रदेश में रहने वाले तकरीबन 4500 लोहड़िया जाति के बारे में सुधि ली है। इससे लोहड़िया जाति को अवश्य ही लाभ मिलेगा।