होटल से निकले कचरे से बनेगा बायोगैस, जेएचआरए और टाटा स्टील यूआईएसएल ने मिलाया हाथ

– होटल पॉड बायो गैस वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम स्थापित करने वाला झारखंड का पहला होटल

जमशेदपुर : आखिरकार होटलों से निकलने वाले खाद्य अपशिष्ट ( फूड वेस्ट) को निपटान का एक उपयोगी तरीका मिल गया है। टाटा स्टील यूआईएसएल और जमशेदपुर होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन (जेएचआरए) ने बिस्टुपुर स्थित होटल पॉड में झारखंड का पहला बायो गैस वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम स्थापित किया है। बायो गैस मैनेजमेंट सिस्टम का उद्घाटन 13 मार्च को टाटा स्टील यूआईएसएल के एमडी रितु राज सिन्हा द्वारा किया जाएगा। साथ ही यह होटल पॉड एन बियॉन्ड स्मार्ट होटल और होटल मद्रासी बिस्टुपुर बायो गैस वेस्ट मैनेजमेंट प्रणाली प्राप्त करने वाले झारखंड के पहले होटल बन जाएंगे। इसका मुख्य उद्देश्य जैव-निम्नीकरणीय कचरे को उत्पादन के समय ही संसाधित करना है। यह 150 अरब लोगों के देश में परिवहन, उत्सर्जन, गैस उत्पादकता पर बचत कर अरबों डॉलर की बचत के मामले में वास्तविक गेम चेंजर होगा। वहीं जेएचआरए के अध्यक्ष रवीश रंजन ने इस क्षेत्र पर पड़ने वाले महत्वपूर्ण पर्यावरणीय प्रभाव पर जोर देते हुए सहयोग के लिए टाटा स्टील यूआईएसएल का धन्यवाद भी किया है।
उन्होंने कहा कि होटल पॉड में इस बायो गैस वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम की शुरूआत होटल क्षेत्र में वेस्ट मैनेजमेंट की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इस प्रणाली से शुरुआत में होटल को प्रति माह कम से कम तीन एलपीजी सिलेंडर बचाने की उम्मीद है। जिससे लागत, बचत और पर्यावरण संरक्षण दोनों में योगदान मिलेगा। इस सहयोग का व्यापक लक्ष्य बायो गैस वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम को शहर के सभी होटलों तक विस्तारित करना है। जबकि प्रणाली का एक अतिरिक्त लाभ यह है कि इसके बाय-प्रोडक्ट का उपयोग पौधों के लिए मूल्यवान खाद के रूप में इस्तेमाल भी किया जाएगा। उनके अनुसार शहरी होटलों में प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में कचरा उत्पन्न करते हैं। जिसमें जैविक कचरा कुल का 40 प्रतिशत है। दुर्भाग्य से इस कचरे का अधिकांश भाग लैंडफिल में चला जाता है और जिसका अनुमानित मूल्य अक्सर शून्य या नकारात्मक भी माना जाता है। वहीं बायो गैस वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम जैविक कचरे की ऊर्जा क्षमता का दोहन करने के लिए एक व्यावहारिक समाधान प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि फूड वेस्ट उन कई मुद्दों में से एक है जिनसे भारत वर्तमान में जूझ रहा है। तेजी से शहरीकरण, बढ़ती आबादी और अनियोजित शहरों के साथ, कचरे की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अधिकांश शहरों में लैंडफिल पहले से ही ओवरफ्लो हो रहे हैं। जिनमें कोई कमी नहीं है। शहरी कचरे की बढ़ती मात्रा को समायोजित करने के लिए जगह भी कम है। हम इस पहल के लिए टाटा स्टील यूआईएसएल के आभारी हैं। यह स्थाई भविष्य को मजबूत करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। होटल क्षेत्र को देश में एक महत्वपूर्ण अपशिष्ट उत्पादक के रूप में पहचाना जाता है। होटल, रेस्तरां, रिजॉर्ट्स समेत अन्य वाणिज्यिक आतिथ्य केंद्रों से फूड वेस्ट के प्रबंधन की जटिल चुनौती एक ऐसी चुनौती है, जिससे उद्योग जूझ रहा है। अगर होटल अपने स्वयं के वेस्ट का प्रबंधन करते हैं और नगर निगमों पर बोझ कम करते हैं। बताते चलें कि जेएचआरए और टाटा स्टील यूआईएसएल के बीच साझेदारी प्रधानमंत्री की स्वच्छ भारत योजना पहल के अनुरूप है। जो कचरे को संसाधनों में परिवर्तित करने में होटल उद्योग की भूमिका पर जोर देती है। टिकाऊ वेस्ट मैनेजमेंट को आगे बढ़ाकर उद्योग भारत के 180 बिलियन डॉलर के जीवाश्म ईंधन आयात को कम करने के प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

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