कतरास: झारखंड के दिव्यांगों को न तो सरकारी सेवाओं और न ही उच्च शैक्षणिक संस्थानों में निर्धारित मानकों के अनुरूप आरक्षण मिल रहा है। राज्य में अप्रैल 2018 से प्रभावी निश्शक्त व्यक्ति (दिव्यांगजन) अधिकार अधिनियम 2016 के तहत संबंधित श्रेणियों में क्रमश: चार और पांच फीसद आरक्षण दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इससे इतर अधिकतर संस्थान आज भी 24 साल पुराने निश्शक्त व्यक्ति अधिनियम-1995 के तहत दोनों ही श्रेणियों में तीन फीसदी ही आरक्षण दे रहे हैं। झारखण्ड दिव्यांग आंदोलन संघ के सदस्यों की पीड़ा को सुन व्यथित हुए जनशक्ति दल सुप्रीमो सूरज महतो, बोले-जीत मिली तो विधानसभा में उठाउंगा दिव्यांगों की मांग.
झारखण्ड दिव्यांग आंदोलन संघ के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश चौहान के नेतृत्व दिव्यांगों की एक मंडली जनशक्ति दल के अध्यक्ष सह बाघमारा विधानसभा क्षेत्र के भावी विधायक प्रत्याशी सूरज महतो से मुलाकात की। संघ के अध्यक्ष श्री चौहान ने श्री महतो को दिव्यांगों की पीड़ा से अवगत कराया। उन्होंने बताया बताया कि सरकार उनकी मांगे पूरा नहीं कर रही है। इसके लिए उनलोगों ने सरकार के लोगों एवं विधायकों से कई बार फरियाद कर चुकें हैं, बावजूद इसके उनकी मांगे पूरी नहीं की जा रही है। संघ के अध्यक्ष ने श्री महतों से उनकी मांगे पूरी कराने में सहयोग की अपील की। श्री चौहान ने भावी विधायक श्री महतो को बताया कि मांगे मनवाने के लिए उनलोगों ने 108 दिनों तक धरना प्रदर्शन भी किया। दिव्यांगों की व्यथा को सुनने के बाद श्री महतो ने कहा कि आपलोगों के सारी मांगे जायज हैं। उसे पूरा किया जाना चाहिए। जनशक्ति दल के अध्यक्ष श्री महतो ने कहा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्हें जीत मिलती है तो दिव्यांगों की मांगों को विधानसभा के पटल पर जोरदार तरीके से रखा जाएगा तथा मांगों पूरा कराने के लिए हर मुमकीन प्रयास करूंगा। इस अवसर पर दिव्यांग संघ के सदस्यों ने गुलदस्ता भेंटकर श्री महतो का स्वागत किया। मौके पर सभी लोगों ने जनशक्ति दल की सदस्यता ग्रहण की। राज कुमार महतो, संतोष सिंह, सूरज महतो, मनोज ठाकुर, मणिलाल महतो आदि संघ के सदस्य मौजूद थे।
जानें दिव्यांगों की क्या हैं मांगे
1. द्विव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 के तहत सभी विभागों में 5 प्रतिशत भागेदारी सुनिश्चित हो, रोजगार, योजना, शिक्षा, चिकित्सा, सभी लाभकारी योजनाएँ ।
2. राज्य निशक्त आयुक्त का स्वतंत्र नियुक्ति हो जो पिछले तीन साल से रिक्त हैं
3. राज्य के लिए मैडल लाने वाले द्विव्यांग खिलाड़ियों को नियुक्तियों में प्राथमिकता देकर उनका सम्मान बढ़ाया जाये ।
4. महंगाई दर के हिसाब से दिव्यांग पेंशन की राशि को चार साल में एक बार भी नहीं बढ़ाया गया है, जबकि झारखण्ड सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में 2500 का वादा किया गया पर 4 साल बीत जाने पर भी पूरा नहीं हुआ, अभिलम्भ पूरा किया जाय।
5. दिव्यांग निधि के आवंटन की प्रक्रिया को सरल कर, दिब्यांगो के सम्मुख लाया जाये, ताकि सभी दिव्यांगजन आसानी से इसका लाभ उठा सके।
6. सभी जिलों के सभी ब्लॉक में दिव्यांग सहायता केंद्र की स्थापना हो और दिव्यांग पंचायत सहायक की नियुक्ति हो ।
7. सरकारी योजना के तहत शादी-शुदा दिव्यांग जोड़े को प्रोत्साहन राशि देकर उनका जीवन सुगम किया जाये तथा उनके बच्चों के लिए उच्च शिक्षा कि व्यवस्था हो ।
8. दिव्यांगजन केंद्रित आवासीय विद्यालय की स्थापना हो एवं पठन पाठन की निशुल्क व्यवस्था तय हो।
9. आउटसोर्सिंग या लोकल नियोजन (सरकारी / गैर सरकारी संगठन) नियुक्तियों में 5 प्रतिशत भागेदारी तय हो।
10. बैकलॉक के सभी रिक्त पद तत्काल प्रभाव से भरे जायें।
11. (OH) अस्थी दिव्यांग प्रकार के दिव्यांगता में जन्मजात दिव्यांगता को दुर्घटना जनित दिव्यांगता से पहले प्राथमिकता दिया जाये।
12. दिव्यांग पेंशन को अलग कैटेगरी में लाभ देने की व्यवस्था हो, न कि विधवा पेंशन या वृधा पेंशन से जोड़ कर।
13. जिसके जितनी भागेदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी के तहत पंचायत चुनाव, नगर निकाय चुना । विधानसभा चुनाव और राज्यसभा चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित हो। उक्त माँगों पर गम्भीरता से कारवाई हो।