बिनय कुमार सिन्हा
टंडवा: लोकतंत्र मे वोट देना सबका मौलिक अधिकार है,इसके लिये निर्वाचन आयोग आज जागरूकता अभियान चला रहा है। पर 24 साल पहले एक जमाना था जब लोकसभा चुनाव मे एक एक वोट देने के गुनाह मे माओवादियो ने टंडवा के दो मतदाताओ का अंग भंग कर दिया था। उसमे से कामता गांव के जसमुद्दीन अंसारी तो आज भी जीवित है पर दूसरे गाडीलोग के महादेव यादव की निधन हो गयी। उस वक्त इस घटना ने पूरे भारत को झकझोर दिया था। जानकारी के अनुसार साल 1999 के लोकसभा चुनाव मे माओवादियो ने वोट बहिष्कार की घोषणा की थी। उस वक्त टंडवा प्रखंड हजारीबाग संसदीय क्षेत्र मे आता था। बताया गया कि वोट बहिष्कार के बावजूद गाडीलोग पंचायत के कामता गांव निवासी जसमुद्दीन अंसारी और गाडीलोग के महादेव यादव समेत अन्य मतदाताओ ने वोट देने के अलावा जागरूक मतदाता के नाते लोगो से वोट करवाया था। इसकी सूचना मिलने पर माओवादी उग्रवादियो ने इन दोनो को 28/29 की सितम्बर 1999 की रात्री माओवादियो ने पहले घर से इन दोनो का अपहरण किया उसके बाद जसमुद्दीन अंसारी के एक हाथ और महादेव यादव की हाथ के एक अगुठा कुल्हाड़ी से वार काट दिया था। जबकि अन्य की पिटाई हुई थी। इस घटना के बाद इतनी दहशत बनी थी कि अगले विस चुनाव मे टंडवा प्रखंड मे मात्र 1900 वोट पड़े थे। एक वोट के कारण हाथ गंवाने वाले जसमुद्दीन अंसारी कहते है कि सरकार द्वारा कोई लाभ अबतक नही मिला। वही महादेव यादव के पुत्र महेंद्र यादव कहते है कि इस मामले मे सिमरिया विधायक किशुन कुमार दास ने नौकरी की मांग को लेकर विस मे आवाज भी उठाये पर कुछ हासिल नही हुआ। इस लोमहर्षक घटना के बाद आज सबकुछ बदल चुका है लोग आज बेधड़क वोटिंग कर रहे है। टंडवा के लोग पहले हजारीबाग सीट के लिये वोट करते थे आज अधिकाश चतरा लोकसभा के लिये वोटिंग करते है हा कुछ पंचायत ऐसा है टंडवा प्रखंड का जहा के मतदाता हजारीबाग क्षेत्र के लिये वोटिंग करते है। फोटो जसमुद्दीन अंसारी