विधायक सरयू राय ने टाटा स्टील से की केबुल टाउन में सीधे बिजली देने की मांग, कानूनी पचड़ों में नहीं फंसने की कही बात  

जमशेदपुर : गोलमुरी स्थित केबुल टाउन क्षेत्र के निवासियों के घरों में बिजली का सीधा कनेक्शन देने के बारे में झारखंड उच्च न्यायालय में दायर रिट याचिका न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है। साथ ही दिवालिया केबुल कंपनी के आरपी याचिका में निहित बिन्दुओं का जवाब देने के लिए नोटिस भी जारी किया है। वहीं झारखंड सरकार और टाटा स्टील के अधिवक्ताओं ने याचिका का समर्थन किया है। आगामी 10 जून को ग्रीष्मावकाश के बाद न्यायालय खुलने पर मामले की सुनवाई होगी। इस संबंध में टाटा स्टील के वकील ने कहा कि कंपनी केबुल टाउन के सभी घरों में बिजली का सीधा कनेक्शन देने पर सहमत हैं। परंतु दिवालिया घोषित हो चुकी केबुल कंपनी के आरपी इसके लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं। जिसपर विधायक सरयू राय ने मांग की है कि टाटा स्टील को दिवालिया केबुल कंपनी के आरपी से अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगने की कोई जरूरत नहीं है। इस अनापत्ति के चक्कर में केबुल टाउन वासियों को कई वर्षों से बेवजह परेशानी उठानी पड़ रही है और महंगा बिजली भी खरीदना पड़ रहा है। झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग के विद्युत आपूर्ति संहिता में स्पष्ट प्रावधान है कि“विद्युत आपूर्ति के लाईसेंस धारी को अपने क्षेत्रों के सभी घरों को विद्युत कनेक्शन देना होगा भले ही गृह स्वामी के पास निवास के मालिकाना हक अथवा किसी भी प्रकार का आवासीय प्रमाण हो अथवा नहीं।’’ विद्युत अधिनियम की धारा- 43 में भी स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी घर वासी को बिजली कनेक्शन देने से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय के एक मुकदमा संख्या 103/2013 में स्पष्ट आदेश है कि लाइसेंसी प्राधिकार गृहस्वामी अथवा निवासी को विद्युत कनेक्शन देने के लिए बाध्य है। जब सर्वोच्च न्यायालय, विद्युत अधिनियम एवं विद्युत नियामक आयोग के निर्देश इतना स्पष्ट हैं तब जमशेदपुर के विद्युत लाइसेंसी टाटा स्टील की सब्सिडरी कंपनी टाटा स्टील यूआईएसएल को केबुल टाउन इलाके के घरों में बिजली का अलग कनेक्शन नहीं देकर इसके लिए दिवालिया केबुल कंपनी के आरपी से अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगने का कोई औचित्य नहीं है। यह बात वे गत तीन वर्ष से मौखिक एवं लिखित रूप से कंपनी को कह रहे हैं। उन्हें पूरा विश्वास है कि रिट याचिका की सुनवाई के बाद झारखंड उच्च न्यायालय से भी इसी आशय का निर्णय आएगा। तब कंपनी के पास घरों को सीधा बिजली कनेक्शन देने के सिवाय कोई दूसरा चारा नहीं रहेगा। सवाल है कि जिन विषयों में नियम कानून के प्रावधान स्पष्ट हैं, वैसे मामलों में भी जनता को अपना हक लेने के लिए न्यायालय में जाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा? यह एक बड़ी विडम्बना है। उन्होंने मांग की है कि टाटा स्टील केबुल कंपनी के घरों में बिजली का सीधा कनेक्शन देना प्रारम्भ कर उच्च न्यायालय को इस बारे में सूचित कर दें। ताकि यह मामला कानूनी दाव-पेंच का शिकार न हो और अनावश्यक समय बर्बाद न हो। विद्युत नियामक आयोग के अनुसार यदि कोई लाइसेंसी किसी वेंडर या अन्य संस्था के माध्यम से घरों को बिजली देता है तो इसके लिए वेंडर निर्धारित विद्युत दर के 5 प्रतिशत से अधिक सेवा शुल्क नहीं वसूल सकता। परंतु केबुल टाउन क्षेत्र के वेंडर उपभोक्ताओं से काफी अधिक शुल्क वसूल रहे हैं और इसे अपने प्राप्ति रसीद पर अंकित भी कर रहे हैं। कंपनी से 5.85 रुपए यूनिट से प्राप्त बिजली के बदले वे उपभोक्ताओं से 7.25 रुपए यूनिट शुल्क लिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त कहीं 60 रुपए तो कहीं 100 रूपए फिक्सड चार्ज भी लिया जा रहा है। जबकि सुविधाएं नगण्य हैं। हर रोज लोड बढ़ने से अक्सर ट्रिपिंग होते रहती है। जिसके तहत मरम्मत कार्य के लिए उपभोक्ताओं को अलग भुगतान करना पड़ता है। उपर्युक्त के आलोक में टाटा स्टील को केबुल टाउन इलाके में घरों को सीधे बिजली कनेक्शन देकर उच्च न्यायालय को सूचित कर देना चाहिए। उक्त जानकारी विधायक सरयू राय ने गुरुवार बिस्टुपुर स्थित आवासीय कार्यालय में प्रेसवार्ता कर दी।

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