बड़कागांव: लोकसभा चुनाव को लेकर गुरुदयाल महतो बालिका उच्च विद्यालय के प्रांगण में बुधवार को नागरिक अधिकार मंच द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया. मंच के संयोजक लखिंद्र ठाकुर ने पत्रकारों से कहा कि मैं जनता से अपील करता हूं कि वोट दबाव ना करें, और ना ही वोट को बेचे. बल्कि प्रत्याशी को परख कर वोट करें . चुनिये उन्हें, जो हमारे क्षेत्र की भावना को समझें. जनता के सुख दुख में समय दे सके. उन्होंने आगे कहा कि 17 प्रत्याशियों में से कुछ प्रत्याशी एक ही सिद्धांत के है . इन कुछ प्रत्याशी को इस क्षेत्र के कोयला पर नजर है. विस्थापन के आंदोलन को लेकर बड़कागांव में चार लोगों की हत्या हो गई थी. क्षेत्र के लोग काफी पीड़ित थे.लेकिन इस दौरान आंसू पोछने के लिए विधायक मनीष जायसवाल कभी नहीं आए. एनटीपीसी द्वारा खोले गए कोयला खदान में कोयले के लोडिंग में एक रात में 3 करोड रुपए बड़कागांव दे रहा हैं. बड़कागांव के कल्याण के लिए काम नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एनडीए सार्वजनिक संस्थाएं को निजीकरण करना चाहती है. ऐसे हाल में रोजगार पर प्रभाव पड़ सकता है. इसका उदाहरण है एनटीपीसी में काम करने वाले वर्करो का मानदेय 8,000 से लेकर ₹25,000 तक है वही सीसीएल क्षेत्र में वर्करों को वही काम के लिए एक लाख से सवा लाख रुपये भुगतान किया जा रहा हैं. निजी संस्थाएं शोषण एवं दोहन करती है. क्षेत्र में खुलेआम ड्रग्स का कारोबार हो रहा है. बालू तस्करी से नदियों का अस्तित्व खतरे में है. छोटी-छोटी नदियां सुख गई है. लेकिन इसे खिलाफ कोई आवाज नहीं उठा रहा है. क्षेत्र में दारू मुर्गा की दुकान सज रही है .दारू मुर्गा के चक्कर में ना पड़े. ईमानदारी पूर्वक प्रत्याशी को देखकर वोट करें. हमारे क्षेत्र का चुनाव मुद्दा बेरोजगारी ,रोजगार के अवसर, नदियों को बचाना है. हमारे देश में अप्रत्यक्ष चुनाव है. जनता पहले सांसद को चुनौती है .उसके बाद सांसद प्रधानमंत्री को चुनते हैं. लेकिन जनता के बीच भरम फैलाया जा रहा है कि प्रधानमंत्री को देखकर चुनाव करें. यह लोकतंत्र के लिए मजाक है. जबकि लोकतंत्र में नियम है प्रत्याशी को देखकर वोट करें. मंच के सदस्य सोनू इराकी पत्रकारों से संबोधित करते हुए कहा कि हजारीबाग संसदीय क्षेत्र के मूलभूत मुद्दों पर कोई राजनीतिक दल अपने चुनाव घोषणा पत्र में नहीं डाला है. हमारे क्षेत्र का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा विस्थापन है. इसके अलावा सड़क जाम, बाईपास सड़क, पलायन, स्वास्थ्य है. इन मुद्दों को अगर कोई राजनीतिक दल चुनावी मुद्दा नहीं बनाते हैं तो नोटा बटन को दबाने के लिए हम लोग मजबूर हो जाएंगे. मौके पर नागरिक अधिकार मंच के सदस्य रामदुलार साव, रंजन ठाकुर मौजूद थे.
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