– शहर में दो नगरपालिका, दोनों में नहीं है समन्वय, जपीएलई मामलों में भी हो रहा पक्षपात
जमशेदपुर : विधायक सरयू राय ने डीसी से कहा कि जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के अंतर्गत टाटा लीज और इसके बाहर हो रहे विकास कार्यों की समीक्षा के लिए टाटा स्टील यूआईएसएल और जमशेदपुर अक्षेस के पदाधिकारियों की एक बैठक बुलाएं। ताकि लंबित विकास योजनाओं का शीघ्र क्रियान्वयन हो सके। उन्होंने कहा है कि जमशेदपुर शहर में दो नगर पालिका कार्यरत हैं। जिसमें से एक झारखंड सरकार की जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति और दूसरा टाटा स्टील यूआईएसएल है। झारखंड नगरपालिका अधिनियम के अनुसार यदि शहर में कोई औद्योगिक नगर समिति बनती है तो उसकी अध्यक्षता जिले के उपायुक्त करेंगे। पिछले कुछ समय से उन्होंने महसूस किया है कि दोनों नगर पालिकाओं के बीच समन्वय में जमीन आसमान का अंतर है। जिसके कारण पेयजल, बिजली, साफ-सफाई, आवासीय क्षेत्रों के जल निकासी के नालों तथा सीवरेज-ड्रेनेज को सशक्त बनाने के लिए दोनों नगर पालिकाओं के बीच समन्वित तरीके से जो कार्य होना चाहिए, वह नहीं हो पा रहा है। काफी पहले तय हुआ था कि माॅनसुन से पहले शहर के बड़े जल निकास नालों की सफाई कर दी जाएगी। साथ ही नागरिकों के घरों से होकर बड़े नालों तक पानी ले जाने वाले नालियों को सुदृढ़ किया जाएगा। परंतु इस विषय में कोई खास प्रगति की सूचना नहीं है और यदि है तो नगर पालिकाओं को यह प्रमाण सार्वजनिक करना चाहिए। फैक्ट्री से होकर सिदगोड़ा, भुइयांडीह और लिट्टी चैक होकर स्वर्णरेखा नदी पर गिरने वाला बड़ा नाला के लिट्टी चैक से नदी तक के भाग की सफाई काफी दिनों से नहीं हो पा रही है। इसी तरह बर्मामाइंस में ट्रक पार्किंग के नीचे के नाले की सफाई भी काफी दिनों से नहीं हुई है। जिस कारण आधे से एक घंटे की बारिश से ही नालों का पानी लोगों के घरों में घूस जाता है। ऐसी ही स्थिति सीतारामडेरा और बारीडीह के कई इलाकों में भी है। इसके अलावा 15 वें वित्त आयोग की निधि तथा जिला योजना की निधि से होने वाली कई परियोजना अधर में लटकी हुई है। जैसे मोहरदा पेयजल आपूर्ति परियोजना के फेज 2 तथा मानगो पुल और बारीडीह, बिहारी बस्ती के बीच रिवर फ्रंट डेवलपमेंट का कार्य भी गति नहीं पकड़ रहा है। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर नालों के गंदे पानी को नदी में गिरने के पहले साफ करने की खबरें जमशेदपुर अक्षेस और टाटा स्टील यूआईएसएल के माध्यम से विगत तीन वर्षों में आधा दर्जन से अधिक बार अखबारों में छप चुकी है। परंतु योजना पर एक इंच भी कार्य शुरू नहीं हुआ है। नगर पालिका क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति भी दिन पर दिन बदतर होती जा रही है। बस्तियों एवं टाटा लीज क्षेत्र के आवासीय क्षेत्र में धड़ल्ले से हो रहा कब्जा इसका एक बड़ा कारण है। कानून व्यवस्था के नगरीय प्रशासन विभाग के विभिन्न पहलुओं के विषय में नगरपालिकाओं की भूमिका की समीक्षा भी होनी चाहिए। ताकि वहां की जनता चोरी छिनतई से उबे बिना अमन-चैन की जिंदगी गुजार सके। नगर पालिका क्षेत्रों में जेपीएलई के मामलों में भी पक्षपातपूर्ण और चुनिंदा निर्णय हो रहा है। जिसकी समीक्षा आवश्यक है