हिम्मत है तो गोदामों का निरीक्षण प्रतिवेदन और उसपर विभागीय सचिव की टिप्पणी को सार्वजनिक करें मंत्री
जमशेदपुर : अपने वक्तव्य में विधायक सरयू राय ने कहा कि कोई व्यक्ति नासमझ और भ्रष्ट के साथ साथ तिकड़मबाज भी है तो उससे उम्मीद की जा सकती है कि वह वस्तुस्थिति से अवगत होना चाहेगा। साथ ही इसके लिए कोशिश भी करेगा। परंतु अगर कोई व्यक्ति नासमझ और भ्रष्ट होने के साथ-साथ तिकडमबाज भी है तो उसकी बदमाशी लाइलाज है। और तो और उसे वस्तुस्थिति से अवगत कराने की कोशिश सिर्फ समय की बर्बादी ही है। जिसके तहत झारखंड के खाद्य, आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले के मंत्री बन्ना गुप्ता बाद वाली श्रेणी में आते हैं। जिनके सामने तथ्य की बात रखना मतलब भैंस के आगे बीन बजाने जैसा है। वहीं गुरुवार खाद्यान्न को जमीन में गाड़ने के संबंध में मंत्री ने जो बयान जारी कर उसके साथ उनका नाम जोड़ा है, वह उनकी तिकड़मबाजीयुक्त बदमाशी का द्योतक है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ही इसका इलाज कर सकते हैं। क्योंकि इससे उनकी सरकार के चेहरे पर भी कालिख पुत रही है। यदि उनकी सरकार का एक मंत्री बे-सिर-पैर की बात करता है और बयान जारी करने में अपनी अज्ञानता प्रदर्शित करता है तो मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी के नाते इसमें उनका भी उत्तरदायित्व बनता है। वैसे तो मंत्री के रूप में शपथ लेते हुए बन्ना गुप्ता ने उल्टा शपथ पढ़ा था। पहला पन्ना बाद में और बाद का पन्ना पहले पढ़ा था। जिसका वीडियो इसका प्रमाण है। मगर इसका मतलब यह नहीं कि ये काम भी ऊट-पटांग करेंगे और जैसा वे कर रहे हैं। विधायक ने कहा कि कोई मंत्री जब निरीक्षण करता है तो एक निरीक्षण प्रतिवेदन तैयार कर संचिका में रखता है। जिसके बाद संचिका विभागीय सचिव के पास टिप्पणी के लिए जाती है और फिर विभागीय सचिव संचिका में रक्षित प्रतिवेदन पर विचारोपरांत नियम का हवाला देते हुए विधिसम्मत टिप्पणी के साथ संचिका आदेश के लिए मंत्री के पास भेजता है। तब मंत्री इसपर विचार कर सचिव की टिप्पणी से अंशतः या पूर्णतः सहमत या असहमत होते हुए आवश्यक आदेश जारी करता है। क्या मंत्री बन्ना गुप्ता ने कडरू गोदाम का निरीक्षण करते समय जो पाया, उसका लिखित प्रतिवेदन संचिका में दिया है और विभागीय सचिव ने इसकी मीमांसा करते हुए जो टिप्पणी नियमानुसार आदेश के लिए मंत्री के रूप मे उनके पास भेजी है? उसपर उन्होंने क्या किया? यह बन्ना गुप्ता को सार्वजनिक करना चाहिए। न कि अपने मनकी भड़ास निकालने वाला बदमाशीपूर्ण वक्तव्य मीडिया के सामने परोस कर अपने अज्ञान और तिकड़म का प्रदर्शन करना चाहिए। मंत्री जी को चाहिए कि पहले वे विभागीय नियमावली की समझ बनाएं। विभाग में किसका क्या अधिकार और दायित्व है, इसकी जानकारी करें। मंत्रालय और निदेशालय तथा राज्य खाद्यान्न निगम के बीच का कार्य विभाजन समझें। गोदाम किसके अधीन आते हैं और उसमें रक्षित खाद्यान्न किसके जिम्मे रहते हैं, यह जानकारी प्राप्त करें और तब अपने अज्ञान की उल्टी का घिन मीडिया के सामने परोसें। आगे उन्होंने कहा कि बन्ना गुप्ता यह समझ लें कि अपने मंत्री कार्यकाल में उन्होंने जो व्यवस्था कर दी है, उसके बाद कोई मंत्री या सचिव चाहकर भी एक छटांक खाद्यान्न की चोरी नहीं कर सकता। इसलिए यदि वे गोदामों का निरीक्षण अनाज की चोरी करने का रास्ता निकालने की बदनीयत से कर रहे हैं तो उन्हें निराशा ही हाथ लगेगी। मेरे कार्यकाल में विभाग में जो भी हुआ है वह नियम, उपनियम, परिनियम के अनुसार ही हुआ है। यह ध्यान रखा गया है कि मंत्री/सचिव या अन्य के किसी आचरण से सरकार के खजाने पर एक पैसे का भी बोझ न आए। इसलिए ढूंढते रह जाइएगा मेरे कार्यकाल की अनियमिताएं, खोज नहीं पाइएगा। अज्ञानता और तिकड़मी बदमाशी का सहारा लेकर भले ही तीन-तेरह, झूठ-फरेब कर सकते हैं। मीडिया को गुमराह कर सकते हैं। अनाज की कालाबाजारी करने-कराने का आपका मंसूबा कभी पूरा नहीं होगा। अगर ऐसा करने की कोशिश करिएगा तो हथकड़ी आमंत्रित करिएगा।अंत में विधायक सरयू राय ने मंत्री बन्ना गुप्ता को चुनौती देते हुए कहा कि अगर हिम्मत है तो उन्होंने अब तक जितने गोदामों का निरीक्षण किया है, उसका निरीक्षण प्रतिवेदन और उस पर विभागीय सचिव की टिप्पणी को सार्वजनिक करें।