टंडवा: तेज रफ्तार कोल वाहन के कहर से पूरे प्रखण्ड के लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। आए दिन निरन्तर कोल वाहनों के चपेट में आने से लोग असमय काल के गाल में समा रहे हैं। सोमवार दोपहर तेज रफ्तार कोल वाहन ने बाईक सवार युवक को चपेट में ले लिया। जिससे एक युवक की मौत हो गई। बताया गया कि थाना क्षेत्र के पदमपुर पंचायत अंतर्गत बुकरु निवासी गौतम सिंह के 32 वर्षीय पुत्र रामप्रवेश सिंह टंडवा से वापस गांव लौट रहे थे। इसी दौरान आम्रपाली के बिंगळात स्थित गेट के समीप कोल वाहन ने युवक को चपेट में ले लिया। घटना के बाद कोल वाहन युवक को बाइक सहित घसीटते हुए सौ मीटर से अधिक दूरी तक अपने साथ ले गया। घटना में घायल अवस्था युवक को मानवता का परिचय देते हुए टंडवा प्रमुख रीना देवी ने अपने वाहन से अस्पताल पहुँचाया। जहाँ चिकित्सको के इलाज के दौरान युवक रामप्रवेश की मौत हो गई। बताया गया कि युवक घर का इकलौता चिराग था। जिसकी शादी दो तीन वर्ष पहले हुई थी जिन्हें कोई बच्चा नही था जिससे घर का चिराग पूरी तरह बुझ गया। जानकारी के अनुसार मृतक टीवीएस क्रेडिट नामक कंपनी में लोन रिकवरी एजेंट का काम करता था। घटना के बाद आक्रोशित लोगों ने आम्रपाली एक नम्बर गेट को जाम कर दिया। जिससे आम्रपाली से कोयला ढुलाई ठप हो गई। परिजन नो एंट्री मृतक के आश्रित को 25 लाख मुआवजा, मृतक की पत्नी को नौकरी ,इंट्री गेट पर गार्ड की व्यवस्था एवं सीसीटीवी लगवाने की मांग पर अड़े हुए थे। इधर मौके पर बीडीओ देवलाल उरांव लोगो को समझाने बुझाने का प्रयास कर रहे थे। समाचार लिखे जाने तक कोयला डिस्पैच पूरी तरह ठप था। इधर सांसद कालीचरण सिंह और विधायक किसुन कुमार दास ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए सीसीएल प्रबंधन से मृतक के आश्रित को मुआवजा देने का निर्देश दिया है।मौके पर उपप्रमुख जितेंद्र सिंह, मनोज चंद्रा ,देवंती देवी,ललित साहू, प्रमोद सिंह, प्रहलाद सिंह, ईश्वर दयाल पांडे, संदीप सिंह समेत अन्य उपस्थित थे।
अप्रशिक्षित चालकों की वजह से होती है दुर्घटना
मगध और आम्रपाली परियोजना के खुलने के बाद क्षेत्र में कोल वाहनो की भरमार हो गई है। जितने वाहन है इतने प्रशिक्षित चालक नही मिलते है। ऐसे में वाहन मालिक अप्रशिक्षित चालको के हाथों में वाहनों का स्टेरिंग थमा देते। ऐसे में आए दिन घटना होती रहती है।
नो एंट्री और मुआवजा नीति नहीं बनना बना अभिशाप
कोल वाहनों से निरन्तर हो रही दुर्घटनाओं पर मुआवजा नीति नहीं बनाना जिला प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों के लिए चुनौती बन गई है। मुआवजा नीति नहीं होने के कारण हर बार दुर्घटना होने के बाद मृतक के आश्रितो से लेकर जनप्रतिनिधियों को हर बार जद्दोजहद करना पड़ता है। हर बार मुआवजे की मांग को लेकर मृतक के परिजन सड़क पर उतर हंगामा करना पड़ता हैं। हैरानी की बात तो यह है कि हर बार दुर्घटना होने के बाद नो एंट्री लगाने की मांग उठती है। मौके पर यह कहकर मामले को शांत करवा दिया जाता है कि एक दो सप्ताह के भीतर नो एंट्री लग जाएगा। लेकिन अब नो एंट्री नहीं लग पाई। प्रखंड प्रशासन की माने तो प्रखंड और अनुमंडल पदाधिकारी की ओर से नो एंट्री की मांग को लेकर जिले में फाइल भेजी गई है। लेकिन अब तक उस पर विचार नहीं किया गया।