गिरिडीह: इंटरनेशनल एक्विटेबल ह्यूमन राइट्स सोशल काउंसिल के जिला अध्यक्ष सह वरिष्ठ पत्रकार मो. ओबैदुल्लाह शम्सी ने बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार के लिए रिश्वत के बढ़ते ट्रेंड एवं प्रचलन को जिम्मेदार ठहराया है।
इस विषय पर उन्होंने कहा कि आज रिश्वत और भ्रष्टाचार की जड़ें प्रखंड,अंचल,थाना, समाहरणालय, मंत्रालय, कोर्ट, कचहरी,संघ और संगठन लगभग सभी जगह काफी मजबूत और गहरी हो चुकी हैं। आज एक आम आदमी को अपने छोटे से छोटे काम को करवाने के लिए भी चढा़वा देना पड़ता है। बिना पैसों का लेनदेन किए आज जनता का कोई काम नहीं होता है।
उन्होंने आगे कहा कि बढ़ती हुई महंगाई का सबसे बड़ा कारण रिश्वत और घूसखोरी की लत और बढ़ता प्रचलन ही है। प्रतिदिन सुबह एवं शाम एक कोयला मजदूर से जगह-जगह पर किया जाने वाला पैसों की वसूली उस कोयले को आम जनता के लिए मंहगा कर देता है। शराब के ठेकेदारों के द्वारा बतौर धांधली किसी को मोटी रकम चुकाने के बाद बेवडो़ं तक वह शराब अतिरिक्त महंगाई के साथ पहुंचती है।
बढ़ती महंगाई का सबसे बड़ा कारण है रिश्वत
क्रेशर,चिमनी भट्टा और खदान चलाने वालों को जब बतौर रिश्वत 10-15 लाख रुपए चुकाने पड़ेंगे तो उपर्युक्त चीजें महंगी क्यों नहीं होंगी? जमीन की खरीद-फरोख्त का गोरखधंधा अंचल और भूमाफियाओं की सांठ-गांठ से चलेगा तो फिर जमीन सस्ती कैसे मिलेगी? जब आम आदमी के घरेलू लडाई- झगड़ों का फैसला पैसे के आधार पर थानों में होंगे तो फिर भ्रष्टाचार क्यों नहीं बढ़ेगा? जब चुनाव में दारु और मुर्गा बांट कर कोई विधायक और सांसद बनेगा तो फिर उसे करोड़ों की योजनाओं में बंदरबांट करने से कैसे रोका जा सकेगा? जब कार्यालयों में पैसों की खनक के आधार पर लोगों की बातें सुनी जाएंगी तब फिर किसी की योग्यता और आवश्यकता के साथ न्याय कैसे हो पाएगा?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वर्तमान परिदृश्य एवं परिस्थिति में भ्रष्टाचार रूपी रावण का दहन संभव है। जवाब होगा नहीं,पूरी तरह से ऐसा होना तो कभी भी संभव नहीं लगता है। हर दूसरे-तीसरे दिन एसीबी के द्वारा घुसखोर पकड़े जा रहे हैं लेकिन घूसखोरों की घूसखोरी बदस्तूर जारी है।
ये लेखक के अपने विचार हैं…
Bribery encourages corruption, even small and big work is rewarded: Shamsi