झारखंड सरकार को उत्तर प्रदेश के योगी सरकार के पैटर्न में काम करने की जरूरत
जमशेदपुर : विधायक सरयू राय ने पत्र के माध्यम से मुख्य सचिव से कहा कि वे अवगत हैं कि आतंक, हत्या, रंगदारी, दबंगई की घटनाएं असहनीय हो जाने के कारण व्यवसायियों के आह्वान पर धनबाद बंद है। साथ ही वासेपुर गैंग के आतंक से गुजर चुका धनबाद अब विदेश से संचालित आधुनिक वासेपुर गैंग-2 की दंबगई, गुंडागर्दी, हत्या और रंगदारी से त्रस्त हो गया है। मगर धनबाद की पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। जिस प्रकार से धनबाद में कोयला की अबाध चोरी ने वहां अपराध का एक नया संसार सृजित किया है और एक समय के जमीन के कतिपय दबंग कारोबारी रेलवे के ठेकेदारी में दबंगई दिखाने के बाद अब कोयला और रंगदारी के अवैध कारोबार में जुुट गए हैं। जिसके कारण यहां के व्यवसायियों को खाड़ी देशों जैसे दुबई और शारजहां से व्हाट्सएप और फेसटाइम काॅल कर उनके मन में दहशत भरा जा रहा है। वहीं जब पानी नाक के ऊपर जाने लगा तो व्यवसायियों के सामने आंदोलन पर उतरने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया और आज से उन्होंने धनबाद बंद रखने का एलान कर दिया है। वस्तुत: धनबाद में कानून व्यवस्था नाम की चीज नहीं रह गई है। ऐसा नहीं है कि वासेपुर के फहीम और उसके भांजे प्रिंस खान के गिरोह के बीच चल रही गलाकाट प्रतिस्पर्धा से धनबाद का प्रशासन तंत्र अनभिज्ञ है। वस्तुतः इन गिरोहों की धनबाद की पुलिस और प्रशासन में गहरी पैठ बन गई है। जिसके कारण प्रिंस खान नामक अपराधी हैदर के जाली नाम से पासपोर्ट बनवाकर टूरिस्ट वीजा पर विदेश चला गया और अब वह दुबई और शारजहां से यहां के व्यवसायियों को आतंकित कर रहा है। जो उसे रंगदारी नहीं देते उनकी हत्या कर रहा है और डंके की चोट पर हत्या की जिम्मेदारी भी ले रहा है। मगर पुलिस प्रशासन कतिपय छुटभैयों को गिरफ्तार कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पा ले रहे है। जिस तरह से प्रिंस खान गिरोह का आतंक धनबाद के व्यवसाय जगत में पसर चुका है। उससे ऐसा लगता है कि झारखंड के अन्य जिलों में भी पसरने की प्रबल संभावना हो गई है। प्रिंस खान के रिश्ते में मामा फहीम फिलहाल शहर के परसुडीह स्थित घाघीडीह जेल में बंद है। इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि धनबाद के बाद फहीम-प्रिंस गिरोह की प्रतिद्धंदिता का अगला शिकार औद्योगिक शहर जमशेदपुर हो जाएगा। आश्चर्य तो यह है कि धनबाद में प्रिंस खान का आतंक और कोयला की चोरी दोनों ही एक साथ तेज रफ्तार से बढ़ रहे हैं। जिसके लिए उसने यहां के सैकड़ों नौजवानों को गिरफ्त में लेकर अपना अलग गिरोह भी बना लिया है। उन्हें चोरी और हत्याओं के कारोबार में झोंक रहा है। इस मामले में केवल धनबाद के पुलिस तंत्र पर ही नहीं बल्कि झारखंड की सरकार पर भी ऐसे गिरोहों के साथ सांठ-गांठ होने की चर्चा वहां आम बात हो गई है। यह सवाल भी वहां चर्चा का विषय बना हुआ है कि एक साल पहले धनबाद के पुलिस अधीक्षक की प्रोन्नति डीआईजी में हो गई। फिर भी वे वहां एसएसपी के पद पर जमे हुए हैं। इसके लिए धनबाद के एसएसपी जितना जिम्मेदार हैं उससे अधिक जिम्मेदार झारखंड की सरकार प्रतीत हो रही है। हम सभी अवगत है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने किस प्रकार वहां के दबंग और सक्रिय अपराधी माफिया गिरोह को घुटने पर ला दिया है। वहां के अपराधी, माफिया, दबंग, हत्यारे गिरोहों के सरगना आदि सभी यूपी की सरकार से सहमे हुए हैं। झारखंड में भी अपराधी गिरोह के खिलाफ योगी सरकार के पैटर्न पर कारवाई की जरूरत है। मगर लगता है कि पुलिस प्रशासन ही अपराधी गिरोह के सामने सहमा हुआ है। अंत में उन्होंने अनुरोध करते हुए कहा कि धनबाद की कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने और अपराधी गिरोहों का जड़ से उन्मूलन करने के लिए पुलिस बल का एक सशक्त स्पेशल टास्क फोर्स गठित कर अपराधियों के विरूद्ध कारवाई करने की पूरी छूट दें। ताकि धनबाद के साथ-साथ जमशेदपुर समेत झारखंड के अन्य आर्थिक गतिविधियों वाले स्थानों को ऐसी गिरोहों की चपेट में आने से बचाया जा सके।