किसान का दूसरा नाम अन्नदाता (पालनहार) क्यों कहा जाता है?

किसान द्वारा उपजाया गया हर एक अनाज पृथ्वी के सभी जीवों का जीवन दाता होता है।

एक ऐसा व्यक्ति है जो कृषि में लगा हुआ है, भोजन या कच्चे माल के लिए जीवों को पाल रहा है।
किसान एक अच्छे इंसान होने के विचार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
वे हमारे उद्योगों के लिए कुछ कच्चे माल का उत्पादन करते इसलिए वे हमारे राष्ट्र के जीवन रक्त है।
किसान को धरती पुत्र भी कहा जाता है, अमीर हो या गरीब, राजा हो या उद्योगपति सभी का जीवन किसान की मेहनत पर आश्रित है। किसान दिन-रात गर्मी, बारिश, ठंड की परवाह किए बिना अपने खेतों में अपने श्रम से फसलें उगाता है और वही अनाज पूरे देश के लोगों की भूख को शांत करता है।
आइए जानते है किसान द्वारा उपजाया गया अनाज का क्या महत्व है।
ऋग्वेद के अनुसार जो अनाज खेतों मे पैदा होता है, उसका बंटवारा तो देखिए…

1- जमीन से चार अंगुल भूमि का,

2- गेहूं के बाली के नीचे का पशुओं का,

3- पहली फसल की पहली बाली अग्नि की,

4- बाली से गेहूं अलग करने पर मूठी भर दाना पंछियो का,

5- गेहूं का आटा बनाने पर मुट्ठी भर आटा चीटियों का,

6- चुटकी भर गुथा आटा मछलियों का,

7- फिर उस आटे की पहली रोटी गौमाता की,

8- पहली थाली घर के बुजुर्गो की

9- फिर हमारी थाली,

10- आखिरी रोटी कुत्ते की,

ये हमें सिखाती है, हमारी संस्कृति।

शायद इसी कारण हमारी संस्कृति में ही पहले जवानों का और दूसरे स्थान में किसानों का अभिवादन किया जाता है।
जय जवान जय किसान।
मुझे गर्व है कि मैं इस संस्कृति का हिस्सा हूँ।

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