दुर्गति बड़कागांव की

बड़कागांव: बडकागांव जो शब्दों से ही अपने को गांव की पहचान बता रहा है।
बडकागांव जो हजारीबाग शहर से 26 किलोमीटर दुर लगभग 40 से 45% तक वन पेड़-पौधे से घिरा हुआ यह बडकागांव अपने अंदर कई गांव और कई ऐताहासिक धरोहर को समेटे हुआ है।
बडकागांव एक वक्त सब्जी का भंडार माना जाता था। यहां का गन्ना और गन्ना से बना गुड बहुत फेमस था।
पर अब यहां के गुड में कालापन का कालिख लग गया है।जो उसकी पहचान को अंधेरे में धकेल दिया है।
जी हां उंचे-नीचे पहाडियों से घिरा बडकागांव का विहंगम दृश्य मन को बहुत मोहित करता था। उस ओर जब भी जाना होता था तब हजारीबाग से बडकागांव तक का सफर मन को तरोताजा कर देता था। पर आज का वहां का सफर एक भयावह और डरावना सा हो गया है। बडकागांव के रोड में चलने से पहले सर पर कफन और अपने जान-प्राण को हथेली पर रख कर चलना होता है।
पता नही किस ओर से किस रफ्तार में आ के कोई ट्रक या डंफर अपने चपेट में ले ले।
अपने चारों ओर हरियाली समेटे बडकागांव कभी यह सोचा भी नही होगा कि भविष्य में हमारी इतनी दुर्गती होगी।
पहली बार जब बडकागांव में कोयला भंडार का सुचना आमजन को मिला होगा तो शायद लोग खुशी से फुले नही समायें होंगे पर शायद वो यहां आने वाली विपदा से भी अंजान थे जो आज वो झेल रहें है।
पैसे बनाने वाले तो आज वहां से निकल कर शहरों में बडी-बडी कोठियां बना कर मजे से रजनीगंधा चुस रहे है।
पर बली का बकरा वो बन रहे है जो चाह कर भी अपना घऱ बार खेती-बारी नही छोड़ सकते।
आज उनके मन यह सवाल बार-बार जरुर कौंध रहा होगा कि यह कोयले का खदान वाकई में हमारा विकास है या हमारा विनाश? जब से बड़कागांव में कोयला का खदान शुरू हुई तब से बड़कागांव दलालों का हब बन गया। न जाने कितने गरीबों को नौकरी दिलाने के नाम से पैसा लेकर ठगा गया। अपराधों का तो ऐसा शुरुआत हुआ जैसे लगता है कोई फैक्ट्री खुल गया है। आए दिन ये सुनने को मिलता है कि आमुख व्यक्ति को आज गोली मार कर हत्या कर दी गई। बड़कागांव के आस पास के गांवों के कुओं से पानी गायब हो गया। घरों में तथा लोगों के शरीर में धूल गर्दा का एक मोटी परत जम गई। प्रत्येक दूसरे तीसरे दिन कोयले की ट्रक से एक्सीडेंट में एक व्यक्ति का जान जा रहा है।
वैसे बहुत से दर्द है जिसका ब्यां करना मुश्किल है। बस उसे उस जगह पर खुद को रख कर महसुस किया जा सकता है। जिसे आज बडकागांव और उसके आस-पास बसे गांव वाले लोग झेल रहें हैॆ। इन सब के पीछे किसका हाथ है ये बड़कागांव के लोगों को सोचने की जरूरत है।

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