बड़कागांव के खेतों व वादियों में बरबस ही मोहता है काशी के फूल

बड़कागांव के खेतों व वादियों में बरबस ही मोहता है काशी के फूल

वर्षा ऋतु की विदाई का प्रतीक है काशी के फूल

करमा पूजा व दुर्गा पूजा में खास महत्व है काशी के फूल

संजय सागर
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बड़कागांव: हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड तथा आसपास के क्षेत्र में आसमान में छाये सफेद और नीले बादलों के साथ धरती पर चारों तरफ फैले सफेद काशी के फूल बरबस ही लोगों का मन मोह रहे हैं. ये काशी के फूल दूर से ऐसा देखने को लग रहा है, जैसे धरती में बर्फ की चादर बीछ गई हो.कांशी के फूल वर्षा ऋणु की विदाई और मां दुर्गा के आगमन का अहसास कर रहे हैं. बड़कागांव के पहाड़ों, वादियों,नदियों के किनारे और खेत की मेड़ तथा खाली पड़ी बंजर भूमि में बिछा काशी फूल का सफेद मखमली चादर सा लगता है

काशी फूल को देख ब्याहता के मन में उत्साह का संचार

लोक कथा के जानकर देवल भुइया का कहना है कि लोक कथाओं और परंपराओं में काशी फूल की मान्यता रही है.भादो के महीने में दूर खेत की मेड़ पर काशी के फूल देख ब्याहता को ऐसा आभास होता है कि करम एवं जितिया पर्व में उसका भाई या पिता उसे मायके ले जाने आ रहे है, वह उसी की सफेद पगड़ी है.काशी का फूल देख ब्याहता के मन में उत्साह का संचार होता है. झारखंड की परंपरा-संस्कृति में काशी फूल का जन्म से लेकर मरण तक के विधि-विधान में विशेष महत्व है. काशी फूल को लेकर कई लोक गीत भी प्रचलित है.

कई रोगों में औषधीय महत्व

आयुर्वेद में इसका कई रोगों में औषधीय महत्व है. कवि गुरु रवींद्र नाथ टैगोर अपने शापमोचन नृत्य नाटक की रचना में काशी फूल के संबंध में कहे हैं कि यह मन की कालिमा दूर कर शुद्धता लाती है. भय दूर कर शांति लाती है. शुभ कार्य में काशी के पत्ते और फूल का उपयोग किया जाता है.

काशी फूल भगवती मां दुर्गा का स्वागत पुष्प
काशी फूल को मां दुर्गा देवी भगवती का स्वागत पुष्प माना जाता है. शारदीय नवरात्र के पहले मां भवानी के स्वागत के लिए काशी फूल धरातल पर हरे चादर में सफेद कालीन की तरह बिछ जाते है.धरती मानो हरियाली में सफेदी को लिए इठला रही होती है.

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