जीवन में कभी भी भगवान की परीक्षा नहीं अपितु प्रतीक्षा होनी चाहिए – कथावाचक
जमशेदपुर : गोलमुरी टुइलाडुंगरी स्थित गाढ़ाबासा कम्युनिटी सेन्टर में चल रहे श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव के तीसरे दिन शनिवार व्यास पीठ से कथावाचक आचार्य आशुतोष तिवारी शांडिल्य जी महराज ने परीक्षित जन्म की कथा सुनाई। साथ ही उन्होंने महाभारत का सुंदर वर्णन भी किया। जिसमें उन्होंने बताया कि जो धर्म के साथ खड़ा रहता है, उसकी सदा विजय होती है। जिसका प्रमाण अर्जुन सहित पाण्डव पक्ष है। कथा क्रम में उन्होंने सती चरित्र और शिव विवाह को श्रवण भी कराया। कथावाचक ने कहा कि जैसे सती ने भगवान श्रीराम की परीक्षा ली थी। जिसके कारण भगवान शिव ने उनको त्याग कर दिया था। ध्यान रहे जीवन में कभी भी भगवान की परीक्षा नहीं अपितु प्रतीक्षा होनी चाहिए। वहीं शिव विवाह की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि शिवजी जब बारात लेकर चलने लगे तो उनकी बारात में भूत-प्रेत, बेताल सब मगन होकर नाच रहे थे। भगवान शिव स्वयं नंदी पर विराजमान थे और गले में नाग की माला धारण किए हुए थे। साथ में भगवान विष्णु और ब्रह्माजी भी देवताओं की टोली लेकर चल रहे थे। त्रिलोक शिव विवाह के आनंद से मगन हो रहा था। हर तरफ शिवजी के जयकारे लग रहे थे। बारात नगर भ्रमण करते हुए देवी पार्वती के पिता राजा हिमवान के द्वार पहुंची और विवाह सम्पन्न हुआ। कथा के प्रसंग सुन श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। कथा से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ पुरोहित शुभेन्द्र शास्त्री और सोनू पंडित ने पूजा अर्चना कराई। आज की यजमान समिति की अध्यक्ष पुष्पा सिंह ने पूजा कराई। कथा में बड़ी संख्या में पधारकर प्रेमियों द्वारा निष्ठा एवं भाव पूर्वक प्रभु कथा का रसपान किया गया।