रांची: राज्य के लिए वर्तमान हालात में सबसे हॉट सीट गिरीडीह जिले की गांडेय विधानसभा की सीट बन गई है। गांडेय विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजनीतिक पारा भी मौसम के बढ़ते तापमान के साथ बढ़ने लगा है। पूर्व में झामुमो विधायक के इस्तीफे से यह सीट खाली हुई है। इस लिहाज से इस पर फिर से झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को उम्मीदवार बनाया गया है। कल्पना सोरेन राज्य के साथ पूरे देश में वर्तमान में झामुमो का चेहरा हैं। ऐसी हालत में इस सीट को झामुमो ने प्रतिष्ठा की सीट बना ली है। इसी के तहत अब झामुमो ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
फिलहाल जमीन से जुड़े मामले में हेमंत सोरेन जेल में हैं और उनकी जगह अब उनकी पत्नी कल्पना सोरेन चुनावी समर में पार्टी का मोर्चा संभालने खुलकर सामने आ चुकी हैं। कल्पना सोरेन लगातार झामुमो की बैठक में शिरकत कर रही हैं। गांडेय विधानसभा क्षेत्र का दौरा लगातार कर रही हैं। इस दौरान वह एक-एक कर सभी पंचायत से आए कार्यकर्ताओं से संवाद स्थापित करने करने की कोशिश में लगी हैं। साथ ही उनकी राय व परेशानियों को भी सुन रही हैं। हर बूथ स्तर पर कितने वोट पूर्व चुनाव में आए और आगे उसका प्रतिशत कैसे बढ़ाएं, इस पर भी मंथन किया जा रहा है।
कल्पना सोरेन की सियासत में एन्ट्री के लिए झामुमो नेतृत्व गांडेय को सेफ सीट मान रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि यहां उन्हें भाजपा की तरफ की कड़ी चुनौती मिलेगी। कल्पना सोरेन के लिए यह लड़ाई कितनी चुनौतीपूर्ण है, यह पिछले चुनाव के वोटों के हिसाब-किताब और यहां के अब तक के इतिहास पर निगाह डालने से साफ हो जाती है। इस सीट पर 1977 से लेकर अब तक का चुनावी इतिहास यह है कि यहां पांच बार झामुमो, दो बार कांग्रेस, दो बार भाजपा और एक बार जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। यह किसी एक पार्टी का अभेद्य किला नहीं है। झामुमो की चुनावी सफलता की दर सबसे ज्यादा जरूर है, लेकिन भाजपा ने भी हाल के वर्षों में यहां खासा दम दिखाया है और दो बार जीत का परचम भी लहराया है।
2019 के चुनाव में यहां झामुमो के उम्मीदवार डॉ. सरफराज अहमद ने 65 हजार 23 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की थी। दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के जयप्रकाश वर्मा को 56 हजार 168 वोट मिले थे। इस प्रकार वह 8,855 वोटों से पिछड़ गये थे। तीसरे स्थान पर रहे आजसू पार्टी के उम्मीदवार अर्जुन बैठा को 15,361 वोट मिले थे। अब भाजपा और आजसू पार्टी एक ही अलायंस का हिस्सा हैं। अगर इन दोनों के वोट जोड़ दें तो वह झामुमो उम्मीदवार को मिले वोट से करीब छह हजार ज्यादा है।
इस बार भाजपा ने दिलीप कुमार वर्मा को उम्मीदवार बनाया है। वह पिछली बार बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम के उम्मीदवार थे और उन्हें 8,952 वोट मिले थे। अब बाबूलाल मरांडी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं और जेवीएम का भाजपा में विलय हो चुका है जाहिर है, पिछले चुनाव में अलग-अलग उम्मीदवार उतारने वाली भाजपा, आजसू और जेवीएम, तीनों के वोट एक साथ इकट्ठा हो जाएं तो झामुमो की कल्पना सोरेन के लिए राह आसान नहीं होगी। हालांकि, भाजपा की ओर से उम्मीदवार घोषित किये जाने पर आजसू ने नाराजगी जाहिर की है। आजसू नेताओं का कहना है कि उम्मीदवार घोषित करने के पहले उनसे मशविरा नहीं किया गया। पिछले चुनाव में आजसू उम्मीदवार रहे अर्जुन बैठा भी चुनाव मैदान में उतरने पर अड़े हैं, लेकिन माना जा रहा है कि अंतत: भाजपा का नेतृत्व आजसू को मना लेगा।
दूसरी तरफ झामुमो के रणनीतिकारों को इस सीट पर मुस्लिम और आदिवासी की बड़ी आबादी के आधार पर बनने वाले मजबूत समीकरण पर भरोसा है। इस सीट से इस्तीफा देने वाले डॉ. सरफराज अहमद को झामुमो ने राज्यसभा भेज दिया है। इससे यह माना जा रहा है कि झामुमो उम्मीदवार कल्पना सोरेन को मुस्लिमों का भरपूर समर्थन मिलेगा। आदिवासियों को झामुमो पहले से अपना परंपरागत वोटर मानता है। कुल मिलाकर, लड़ाई न तो एकतरफा है और न ही आसान। इस सीट पर जीत-हार से तय होगा कि राजनीति के मैदान में कल्पना सोरेन के पांव कितनी मजबूती से टिक पायेंगे।