भजपा के गढ़ में क्या जेपी पटेल लगा पाएंगे सेंध?
जाति की राजनीति पर कितना रहेगा जीत का अनुमान
हजारीबाग: हजारीबाग लोक सभासीट झारखंड के सबसे महत्वपूर्ण सीटों में शामिल है। यहां भाजपा ने आजादी के बाद कड़ी मेहनत कर अपना गढ़ तैयार किया है। अब इस गढ़ में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस ने स्थानीय नेता को उम्मीदवार बनाया है। जयप्रकाश भाई पटेल मांडू विधानसभा से भाजपा के ही विधायक थे। उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यह लोकसभा सीट जीतना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है। अगर चुनावी इतिहास को देखा जाए तो कांग्रेस इस क्षेत्र में बहुत सफल नहीं दिखाई देती।
35 वर्षों में कहीं नहीं टिकी कांग्रेस
पिछले 35 वर्षों में भाजपा ने कांग्रेस को कहीं भी टिकने नहीं दिया है। वर्ष 1989 के बाद कांग्रेस इस लोकसभा सीट को एक बार भी जीत नहीं पाई है। वर्ष 2019 का चुनाव तो ऐसा रहा कि कांग्रेस को 4.78 लाख वोटो से शिकस्त खानी पड़ी। इस चुनाव में 67.4 प्रतिशत वोटर ने भाजपा को वोट डाला था। सभी पांच विधानसभा बरही, बड़कागांव, रामगढ़, मांडू और हजारीबाग में भाजपा ने अपनी बढ़त बना रखी थी। किसी भी विधानसभा में कांग्रेस लीड नहीं ले पाई थी। इतनी बड़ी लड़ाई को जीतने के लिए इंडिया गठबंधन की रणनीति अभी तक भी स्पष्ट दिखाई नहीं पड़ती। 19 लाख 4 हजार 116 मतदाताओं के हाथों में भाजपा और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार का भविष्य छुपा हुआ है। जनता के दिलों पर कौन राज करेगा यह तो मतगणना के बाद ही स्पष्ट होगा। लेकिन उससे पहले जोड़-तोड़ और जातिगत समीकरण बैठाने की राजनीति भी चल रही है।
कितने अहम साबित होंगे दलित और मुस्लिम वोटर
इंडिया गठबंधन ने भाजपा के खिलाफ उस उम्मीदवार को लोकसभा में उतारा है जो पिछले तीन बार से मांडू विधानसभा के विधायक रहे हैं। विष्णुगढ़ से लेकर मांडू प्रखंड क्षेत्र तक उनके समर्थक मौजूद हैं। इस बार उन्होंने अपने विधानसभा के अलावा चार अन्य विधानसभा बरही, बड़कागांव, हजारीबाग और रामगढ़ से भी बढ़त बनाने की तैयारी की है। इन पांच विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम और दलित वोटर कितने अहम साबित होंगे यह भी देखना जरूरी है। अगर जातिगत आधार पर वोटरों को देखें तो हजारीबाग लोकसभा में सात जातियों को मिलाकर 44.4 प्रतिशत आबादी मौजूद है। इनमें सबसे बड़ी आबादी मुस्लिम 15.17 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 14.99 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 12.69 प्रतिशत , सिख 0.27 प्रतिशत, क्रिश्चियन 0.91 प्रतिशत, जैन 0.09 प्रतिशत और बुद्धिस्ट 0.01 प्रतिशत मौजूद हैं। इसके अलावा कोयरी और कुर्मी वोटर पर भी पकड़ बनाने के लिए जयप्रकाश भाई पटेल पर कांग्रेस ने अपना दांव खेला है।
जानिए 1952 से अब तक किस पार्टी के रहे हैं सांसद
हजारीबाग क्षेत्र के पहले सांसद के रूप में रामनारायण सिंह का नाम शामिल हुआ था। वह छोटानागपुर संथाल परगना जनता पार्टी से चुनाव जीते थे। इसके बाद इसी पार्टी से 1957 में ललिता राजलक्ष्मी यहां के सांसद हुए। 1962 में स्वतंत्र पार्टी से बसंत नारायण सिंह, 1967 में उन्होंने फिर से यहां निर्दलीय चुनाव लड़ा और सांसद चुने गए। 1968 में झारखंड पार्टी से मोहन सिंह ओबेरॉय यहां सांसद बने। 1971 में कांग्रेस के प्रत्याशी दामोदर पांडे चुनाव जीते। 1977 और 1980 में जनता पार्टी से बसंत नारायण सिंह एक बार फिर सांसद बने।
1984 में कांग्रेस उम्मीदवार दामोदर पांडे फिर यहां के सांसद बने। इसके बाद यहां भाजपा का खाता खुला। 1989 में भाजपा उम्मीदवार यदुनाथ पांडे यहां चुनाव जीते। 1991 में कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार भुवनेश्वर प्रसाद मेहता यहां सांसद चुने गए। 1996 में एम एल विश्वकर्मा बीजेपी के टिकट पर सांसद बने। 1998 में भाजपा ने यशवंत सिन्हा को यहां से उम्मीदवार बनाया है और वे यहां सांसद चुने गए। 1999 में हुए चुनाव में भी यशवंत सिन्हा यहां जीते। वर्ष 2004 में एक बार फिर कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार भुवनेश्वर प्रसाद मेहता यहां सांसद चुने गए। वर्ष 2009 में एक बार फिर यशवंत सिन्हा यहां भाजपा के टिकट पर ही सांसद चुने गए। वर्ष 2014 में उन्हीं के बेटे जयंत सिन्हा बीजेपी के उम्मीदवार बने और लगातार 10 वर्षों तक सांसद रहे।