प्रतिवेदन शपथ पत्र पठनीय नहीं, दोबारा दायर करने का आदेश
जमशेदपुर: सीतारामडेरा स्थित भुईयांडीह के इन्द्रानगर-कल्याणनगर बस्तियों के 150 घरों को तोड़ने के संबंध में जारी नोटिस के विरूद्ध बस्ती वासियों द्वारा एनजीटी की कोलकाता बेंच में दायर आवेदन पर सोमवार को सुनवाई हुई। जिसमें बस्तीवासियों की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता संजय उपाध्याय ने बेंच के समक्ष तर्क दिया कि पूर्वी सिंहभूम जिला के उपायुक्त ने न्यायालय के समक्ष संयुक्त जांच समिति का जो प्रतिवेदन शपथ पत्र दाखिल किया है, उसका अनुलग्नक-2 पठनीय है ही नहीं। इस अनुलग्नक में ही प्रशासन का कहना है कि उन गृहस्वामियों के नाम दिये गये हैं, जिन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है।वहीं विधायक सरयू राय ने बताया कि संजय उपाध्याय ने कोर्ट में कहा कि जब यह प्रतिवेदन पढ़ने लायक ही नहीं है तो इसपर विचार कैसे किया जा सकता है? जिसपर न्यायालय ने जिले के उपायुक्त का शपथ पत्र मांग कर देखा और सरकारी अधिवक्ता को फटकार लगाई कि न्यायालय के सामने दायर शपथ पत्र पठनीय होना चाहिए। एनजीटी ने सरकारी वकील को निर्देश दिया कि उपायुक्त एनजीटी के सामने दोबारा शपथ पत्र दायर करें। अब मुकदमे की अगली तारीख 21 अक्टूबर तक उपायुक्त को न्यायालय में पुनः शपथ पत्र दायर करना है। साथ ही सरयू राय ने बताया कि झारखण्ड सरकार के मुख्य सचिव ने अब तक एनजीटी के सामने अपना शपथ पत्र दायर नहीं किया है। झारखण्ड सरकार के वकील ने इसके लिए एनजीटी से समय भी मांगा है। उन्हें भी 21 अक्टूबर तक शपथ पत्र दायर करने के लिए एनजीटी ने कहा है। भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने इस संबंध में अपना शपथ पत्र दायर नहीं किया है। उन्हें भी 21 अक्टूबर तक शपथ पत्र दायर करने का समय मिल गया। उन्होंने एनजीटी द्वारा दोबारा शपथ पत्र दायर करने का निर्देश उपायुक्त को दिए जाने पर संतोष व्यक्त करते हुए उम्मीद जताई है कि जिला प्रशासन 21 अक्टूबर तक बस्ती वासियों के विरूद्ध किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं करेगा। इस संबंध में वे उपायुक्त से मिलकर अपनी बात भी रखेंगे। उन्होंने बताया कि वकील संजय उपाध्याय ने एनजीटी से मांग की है कि बस्ती वासियों को झारखण्ड सरकार के आदेश से राहत दिलाई जाय। जब एनजीटी के सामने दोबारा शपथ पत्र 21 अक्टूबर तक जिला प्रशासन दायर करेगा और वह पठनीय होगा, तभी इसके बारे में आगे की कार्यवाही होगी। एनजीटी में मामले को लेकर सुनवाई भी होगी। सरयू राय ने कहा कि 30 जनवरी 2024 के अपने आदेश के जिन बिन्दुओं पर एनजीटी ने स्पष्ट कहा है कि यदि किसी व्यक्ति ने इस मामले में नियमों का उल्लंघन किया है तो उसकी सूचना प्रशासन को दी जाए। ताकि उसे भी पक्षकार बनाकर उसका पक्ष सुना जा सके। मगर आश्चर्य है कि इस स्पष्ट आदेश की आड़ में पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन बस्ती वासियों को उनके घर तोड़ने के संबंध में नोटिस जारी कर रहा है और यह कहीं से भी उचित नहीं है। जिले के उपायुक्त द्वारा नये सिरे से शपथ पत्र दायर करने के बाद इस बिन्दु पर बस्ती वासियों का पक्ष एनजीटी में उनके अधिवक्ता संजय उपाध्याय रखेंगे।