जल जीवन मिशन योजना में झारखंड लक्ष्य से काफी पीछे : हरे राम पंडित

वर्ष 2019 में शुरू हुई जल जीवन मिशन योजना मार्च 2024 में समाप्त होगी। ऐसे में राज्य सरकार को लक्ष्य हासिल करने के लिए बचे हुए दो माह में राज्य के सभी 61.30 लाख घरों में नल से शुद्ध पेयजल पहुंचाना असंभव है, जबकि अभी तक करीब 25 लाख घरों में ही नल से जल पहुंचाया जा सका है।

लक्ष्य से काफी पीछे रहने का तात्पर्य यह है कि राज्य सरकार जल जीवन मिशन योजना को पूरा करने में 2019 से सक्रियता नहीं दिखाई ऐसा मानना है वरिष्ठ नागरिक व समाजसेवी हरे राम पंडित का।

श्री पंडित का यह भी कहना है कि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2019 में 267 करोड़ ,2020-21 में 572 करोड़ 2021-22 में 2479 करोड़ 2022-23 में 2825 करोड़ और 2024 में 4722 करोड़ रूपए की राशि आवंटित की गई है।इसकी तुलना में राज्य सरकार इन राशियों का उपयोग नहीं कर पाई या कर रही है। वर्ष 2019 में झारखंड सरकार ने 291 करोड़ रूपए का उपयोग किया जबकि 2020-21 में मात्र 143 करोड़ रूपए ,2021-22 में 512 करोड़ रूपए,2022-23 में 2119 करोड़ रूपए का उपयोग हुआ और वर्तमान सत्र में भी राज्य सरकार ने जल जीवन मिशन योजना में बहुत कम ही राशि की निकासी की है, ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है

राज्य सरकार की ओर से केन्द्रीय मंत्री को उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट के अनुसार जुलाई 2023 तक राज्य के 61.30 लाख ग्रामीण घरों में 23 लाख घरों में नल से जल आपूर्ति हुई है।केन्द्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा झारखंड राज्य को जल जीवन मिशन योजना को पूर्ण करने के लिए 10865 करोड़ रुपए दिया गया और राज्य सरकार जुलाई 2023 तक मात्र 3065 करोड़ खर्च कर पाई। यानी केंद्र सरकार से प्राप्त राशि का करीब 30% ही खर्च कर सकी,जो दर्शाता है कि झारखंड सरकार या तो राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के घरों में शुद्ध पेयजल आपूर्ति नहीं करना चाहती है या फिर केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित बहुत ही उपयोगी योजनाओं पर भीध्यान नहीं दी है और दी भी है तो लेशमात्र। वैसे अगस्त 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने जल जीवन मिशन योजना के जन जागरण अभियान के तहत जागरूकता रथ को रवाना किया था।

धरातल पर जल जीवन मिशन योजना पर झारखंड में नाम मात्र का काम हुआ है चूंकि पता चलता है कि जिन घरों में दो साल पहले नल लगा दिया गया है उसमें अभी तक जल नहीं पहुंचा है। यह तो विभाग की अकर्मण्यता ही कही जाएगी, जबकि झारखंड में पेयजल की किल्लत किसी से छिपी नहीं है।दस हजार करोड़ रूपए मिलने के बावजूद भी झारखंड में नल से पेयजल आपूर्ति नहीं हो पाना दुर्भाग्य है और कुछ नहीं।

Related posts