विधायक ने किया जन आंदोलन का ऐलान, एक के बाद एक तीन ट्वीट में किए सुलगते सवाल
जमशेदपुर: विधायक सरयू राय ने इंद्रा नगर-कल्याण नगर के 150 घरों को तोड़ने के विरुद्ध जन आंदोलन का ऐलान किया है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक के बाद एक लगातार तीन ट्वीट में उन्होंने कहा कि जमशेदपुर जिला प्रशासन द्वारा मनमाना जेपीएलई (झारखंड पब्लिक लैंड एंक्रोचमेंट) नोटिस देकर घरों को तोड़ने की साजिश के विरूद्ध जन आंदोलन होगा। आज इंद्रा नगर-कल्याण नगर को नोटिस दी है तो कल बिरसा नगर की बारी आएगी। कांग्रेस के चुनावी चेहरे “चोर को कहो चोरी करो और साहूकार को कहो जागते रहो” की दोगली नीति पर चल रहे हैं। साथ ही एक अन्य ट्वीट में विधायक ने लिखा कि सरकार में भागीदार नेताओं को बताना होगा कि जब एनजीटी का कोई आदेश इंद्रा नगर-कल्याण नगर के घरों को तोड़ने का नहीं है, तब जमशेदपुर प्रशासन ने बस्ती वासियों को घर तोड़ने का नोटिस क्यों दिया? प्रशासन से नोटिस दिलवाना और नोटिस के खिलाफ बस्ती में खड़ा होना दोहरा चरित्र है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि एनजीटी कोलकाता बेंच ने घरों को तोड़ने के लिए अंचल अधिकारी जमशेदपुर की नोटिस के विरूद्ध बस्ती वासियों द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि इसका कोई संबंध एनजीटी के आदेश से नहीं है। यानी यह नोटिस झारखंड सरकार ने अपने स्तर से दिया है। इस संबंध में सरयू राय ने एक बयान जारी कर कहा कि एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल) ने इन्द्रानगर-कल्याण नगर के घर टूटने के विरूद्ध बस्ती वासियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता संजय उपाध्याय द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका इस आधार पर सुनने से इंकार कर दिया कि बस्ती वासियों का घर तोड़ने के लिए जमशेदपुर के अंचलाधिकारी द्वारा दी गई नोटिस का एनजीटी के प्रासंगिक मुकदमा से कोई संबंध नहीं है। वहीं सरयू राय के अनुसार एनजीटी ने वरीय अधिवक्ता को सुनने के बाद कहा कि जमशेदपुर अंचलाधिकारी की नोटिस का न तो दलमा इको सेंसिटिव जोन से इन घरों की दूरी का कोई संबंध है और न ही स्वर्णरेखा नदी तट से इनकी दूरी का कोई संबंध है। जमशेदपुर अंचलाधिकारी की यह नोटिस विशुद्ध रूप से जिला प्रशासन का मामला है। विधायक ने बताया कि वरीय अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि जमशेदपुर के तमाम अखबारों में प्रमुखता से खबर प्रकाशित हो रही है कि इन्द्रानगर- कल्याण नगर के करीब 150 घरों को तोड़ने की नोटिस जिला प्रशासन ने एनजीटी के आदेश पर किया है तो एनजीटी की बेंच ने कहा कि इन घरों का उल्लेख एनजीटी के आदेशानुसार गठित संयुक्त जांच समिति के प्रतिवेदन में नहीं है। झारखंड सरकार के वन पर्यावरण विभाग की रिपोर्ट में भी इनका उल्लेख नहीं है। झारखंड सरकार के मुख्य सचिव ने अभी तक शपथ पत्र नहीं दिया है किससे घर तोड़े जाएंगे? इसी तरह एनजीटी ने बस्ती वासियों के अधिवक्ता की दलील पर कहा कि आगे कभी झारखंड सरकार के किसी प्रतिवेदन में अथवा मुख्य सचिव के शपथ पत्र में इन घरों को एनजीटी के निर्देशानुसार तोड़ने की बात आएगी तो उस समय आप इस मामला को लेकर एनजीटी के सामने आने के लिए स्वतंत्र हैं। जबकि सरयू राय के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता की बात को कोर्ट ने ध्यान से सुना। जिसमें उन्होंने कहा कि जमशेदपुर जिला प्रशासन ने एनजीटी के आदेश का हवाला देकर इन्द्रानगर- कल्याण नगर के घरों को तोड़ने की नोटिस दिया है तो कोर्ट ने कहा कि ऐसा होगा तब हम आपकी बात जरूर सुनेंगे।