प्रभारी मंत्री ने कहा जो रघुवर सरकार में 10 डिसमिल तय हुआ था वही रहेगा, नहीं टूटेगा बाकी का ढांचा
जमशेदपुर : विधायक सरयू राय ने सोमवार विधानसभा सत्र में जमशेदपुर की बस्तियों को मालिकाना हक देने का मामला उठाया। जिसका प्रभारी मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने उत्तर देते हुए स्वीकार किया कि टाटा लीज नवीकरण समझौता के शिड्यूल्ड – 5 में अवैध 86 बस्तियों को लीज भूमि से अलग किया है। जिसके बाद 86 बस्तियों का सर्वेक्षण भी हुआ। जिसमें आया कि 14,167 प्लाॅटो में निहित लगभग 1800 एकड़ भूमि लीज से बाहर की गई है और इसमें 17,986 मकान भी बने हुए हैं। जिसका क्षेत्रफल करीब 1100 एकड़ है। उन्होंने कहा कि रघुवर दास की सरकार ने एक निर्णय लिया था कि 10 डिसमिल तक भूमि की बंदोबस्ती लीज पर की जाएगी और जो पूरे झारखण्ड के लिए है। साथ ही जमशेदपुर शहर में भी लागू है। वहीं सरयू राय ने पूरक प्रश्न में कहा कि सरकार उनके सवालों का सही उत्तर नहीं दे रही हैं। एक तो सरकार यह नहीं बता रही है कि क्षितिज चन्द्र बोस बनाम आयुक्त रांची के मुकदमा में रांची नगर निगम की भूमि पर सर्वोच्च न्यायालय ने उनके प्रतिकुल कब्जा को मान्यता दिया है। क्योंकि यह प्रतिकुल कब्जा साबित हो गया है। उसी तरह जब 2005 में टाटा लीज नवीकरण समझौता के समय सर्वे हुआ और साबित हो गया कि करीब 1100 एकड़ भूमि पर 17986 मकान बसे हुए हैं। यानी कि अपने मकानों पर आवासितों का प्रतिकुल कब्जा साबित हो गया तो सर्वोच्च न्यायालय के उपर्युक्त निर्णय के अनुसार इस भूमि पर आवासितों को मालिकाना दे देना चाहिए। उन्होंने माननीय मंत्री जी पूछा कि यदि किसी आवासित का मकान 15 डिसमिल या फिर 20 डिसमिल पर बना हुआ है और उसे पूर्ववर्ती सरकार के निर्णयानुसार केवल 10 डिसमिल जमीन को ही लीज पर देगी तो क्या बाकी जमीन पर बना हुआ उसका घर का ढांचा टूटेगा? जिसपर प्रभारी मंत्री ने कहा कि जो मकान जितनी जमीन पर बना हुआ है, उसका कोई भी अंश टूटेगा नहीं। वहीं उन्होंने इसपर कहा कि ऐसा तभी होगा जब यह सरकार पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार की 10 डिसमिल तक लीज देने की नीति से कोई अलग निर्णय करें। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित करें। जिसमें जमशेदपुर के पूर्ववर्ती उपायुक्तों को भी रखे और यह समिति निर्णय करें कि किस प्रकार से मालिकाना हक दिया जा सकता है। इस पर मंत्री ने कहा कि फिलहाल यह संभव नहीं है। पिछली सरकार का जो निर्णय है, हम उससे अलग निर्णय लेने की स्थिति में अभी नहीं है। केवल यह परिवर्तन करने का आश्वासन उन्होंने दिया कि जो मकान जितने क्षेत्र में बना हुआ है, उतने क्षेत्र को मकान के आवासितों के पास रहने दिया जाएगा। इसी बीच सदन का समय समाप्त हो गया। विधायक सरयू राय ने कहा कि वे आगे भी इस विषय उठाएंगे। उन्होंने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि मंत्री जी ने 10 डिसमिल के लीज के बंधन से आवासितों को अलग किया। जिसका मकान जितनी भूमि पर है, उतनी भूमि पर उसका अधिकार रहेगा। परंतु उसे हम लीज देंगे। मालिकाना हक नहीं देंगे। क्योंकि पूर्ववर्ती सरकार के मंत्रिपरिषद का एक निर्णय हो गया है। इसलिए सम्यक दृष्टिकोण से इसपर विचार करने के बाद ही निर्णय को बदला जाएगा। उन्होंने माननीय मंत्री से स्पष्ट कहा कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा मालिकाना हक देने के बदले में केवल 10 डिसमिल जमीन पर लीज का अधिकार देने का निर्णय ही मालिकाना हक के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है तो उन्होंने इससे इन्कार नहीं किया। अब चूंकि एक बार झारखण्ड सरकार 10 डिसमिल के लीज के बाहर देने के लिए तैयार हो गया है और यह माना गया कि जिसका जितनी भूमि पर मकान बना हुआ है, उसका पूरे पर कब्जा रहेगा तो अब मालिकाना की बात बहुत दूर नहीं रह गया है। मंत्री जी के आश्वासन की यह डोर पकड़कर वे भविष्य में सरकार पर इन बस्तियों को मालिकाना हक दिलाने के लिए दबाव बनाते रहेंगे।