मनरेगा योजनाओं के संचालन में बरती जा रही है जबरदस्त मनमानी एवं घोर अनियमितता

धरातल से नदारद मिली 12 योजनाएं

सामाजिक अंकेक्षण टीम को 117 में से उपलब्ध करवाए गए केवल 40 योजनाओं के ही अभिलेख

जिला प्रशासन ले मामले का संज्ञान, दोषियों के विरूद्ध हो उचित कार्रवाई

गिरिडीह:- जिले में पंचायत स्तर पर किए जा रहे घोर मनमानी और अनियमितता के कई उदाहरण समय-समय पर देखने को मिलते हैं। विभिन्न समाचार पत्रों एवं टीवी चैनलों के माध्यम से ऐसे कई मनमाने एवं भ्रष्टाचार से संबंधित मामले आए दिन प्रकाश में आते रहते हैं। आवश्यकता पड़ने पर जिला प्रशासन भी ऐसे मामलों के विरुद्ध कड़े कदम उठाने से परहेज़ नहीं करती है। लेकिन बावजूद इसके न भ्रष्टाचार कम हो रहा है और न ही भ्रष्टाचारियों के हौसले पस्त हो रहे हैं।

ऐसा ही एक और मनमाना पूर्ण कृत्य सामने आया है। बताते चलें कि कल दिनांक 12 दिसम्बर को पीरटांड़ प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत चिरकी के पंचायत सचिवालय सभागार कक्ष में सामाजिक अंकेक्षण के उपरांत जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित हुआ।

बीआरपी योगेन्द्र कुमार गुप्ता से प्राप्त जानकारी के अनुसार पंचायत के ग्राम रोजगार सेवक ने सामाजिक अंकेक्षण टीम को पंचायत में संचालित मनरेगा से संबंधित कुल 117 में से केवल 40 योजनाओं के अभिलेख ही उपलब्ध करवाए जिसपर उन्होंने कहा कि शेष 77 योजनाओं के अभिलेख नही दिए जाने से यह सिद्ध होता है कि उक्त योजनाओं का संचालन बिना अभिलेख के ही किए जा रहे हैं जो एक गंभीर जांच का विषय है। उन्होंने आगे कहा कि उपलब्ध करवाए गए 40 अभिलेखों में से एक भी अभिलेख का एमबी नही किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि सोशल आडिट की टीम ने योजना स्थलों का सत्यापन किया एवं अभिलेखों का मिलान करने पर वे मापी पुस्तिका से नहीं मिले। कहा कि 12 योजनाएं धरातल पर मिले ही नहीं।

कुछ ऐसे कूप हैं जिसमें राशि की निकासी कर ली गई है लेकिन कार्य अपूर्ण हैं। पशु शेड की राशि का भुगतान मेटेरियल सहित कर लिया गया है लेकिन फर्श, टैंक और एसबेस्टस आदि नहीं लगाया गया है।

उन्होंने आगे कहा कि जूरी ने जनसुनवाई के उपरांत जो निर्णय लिया है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं।

1000 रू प्रति अभिलेख जुर्माना लगाया जाना चाहिए था जबकि जूरी ने प्रति अभिलेख मात्र 50 रू ही जुर्माना लगा कर प्रखंड में अभिलेख प्रस्तुत करने का आदेश पारित किया है। अवैध निकासी के विरुद्ध रिकवरी एवं अपूर्ण योजनाओं को पूरा करने का आदेश दिया गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया आरंभ होने से 15 दिनों पुर्व ही सामाजिक अंकेक्षण टीम को योजनाओं के सभी अभिलेख उपलब्ध करवा देना प्रखंड विकास पदाधिकारी की जिम्मेदारी बनती है जबकि यहां इस प्रावधान को पूरी तरह से नजर अंदाज किया गया है।

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