अदबी संसार का 34 वीं तरही नातिया मुशायरा एक शाम नौशाद अहमद ख़ां के नाम संपन्न

मेदिनीनगर: अदबी संसार ने 34 वीं तरही नातिया मुशायरा में एक शाम, नौशाद अहमद ख़ां के नाम राहत नगर (पहाड़ी) स्थित जावेद अख़्तर के आवास पर आयोजित कराया। अध्यक्षता नौशाद अहमद ख़ां जबकि संचालन हाजी शमीम रज़वी ने किया। अतिथियों का स्वागत अदबी संसार के संस्थापक एम.जे. अज़हर ने किया। मौक़े पर बतौर मुख्य अतिथि मुमताज़ अहमद ख़ां जबकि विशिष्ट अतिथि मौलाना मुश्ताक अहमद ज़ियाई व समाजसेवी सैय्यद मो. कलाम उपस्थित हुए।नौशाद अहमद ख़ां: हर मरज़ के हैं मुआलिज आप ही शाह ए उमम, कीजिए एक बार हम पर भी शफ़ाअत की नज़र।मौ. महताब आलम ज़ियाई: कलम ए मुस्तफ़ा पढ़के हज़रत बिलाल, अपनी खु़शबख़्तियों पर मचलने लगे।कारी जसीमुद्दीन शमीमी: जिस पे ख़ैरुलवरा की नज़र हो गई, ख़ुल्द में वो शमीमी टहलने लगे।शमीम रज़वी: जो यहां नहीं क़ायल मुस्तफ़ा की अज़मत का, जाएगा वो दोज़ख़ में फ़ैसला है कु़दरत का।क़य्यूम रूमानी: मौत का ख़ैर मक़दम न हम क्यों करें, होने वाला नबी का जो दीदार है।अमीन रहबर: हो गया है औज पर उसका मुक़द्दर मोमिनो, डाल दी सरकार ने जिस पर मुहब्बत की नज़र।एम.जे.अज़हर: मुस्तफ़ा को देखते ही झूम उठेंगे उम्मती, आसियों पर होगी जब उनकी शफ़ाअत की नज़र।डॉ. अतहर मोबिन कुरैशी: पूछते हो क्या लोगो मुस्तफ़ा की अज़मत का, तज़किरा है कुरआं में उनकी शान व शौकत का।निगार आलम अता: जब भी जाने लगे लोग सू ए हरम, कितने उश्शाक़ के दिल मचलने लगे।इमरान शाद: है शिफ़ा ख़ाक ए तैबा में ये जानकर, धूल माथे पे तैबा की मलने लगे।खालिद रज़ा ताबिश: मौत आए गुंबद ए ख़िज़रा के साए में मुझे, कीजिए ताबिश पे आक़ा ऐसी रहमत की नज़र।अदनान कासिफ़: तुम बुला लो मुझे एक बार मदीने वाले, सुन लो दिल की मेरे मुख़्तार मदीने वाले।मो.इस्तख़ार: हम जब भी कलमा पढ़ते हैं तो एतराम से, आगे मेरा जनाज़ा है पीछे इमाम है।फ़रहत हुसैन खु़शदिल, नूर सुल्तानपुरी, अतिया नूर इलाहाबादी, मुहसिन अज़ीम लखनवी, मंसूर रज़वी, हाफ़िज़ मो. यूनुस रज़वी, अताउल्लाह रज़ा, फ़ारूक़ अहमद के द्वारा भी नातिया कलाम पेश किया गया।

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