अदबी संसार का 33 वीं तरही नातिया मुशायरा, एक शाम डॉ. मकबूल मंजर के नाम संपन्न

मेदिनीनगर: 17 मई 2024: अदबी संसार ने 33 वीं तरही नातिया मुशायरा में एक शाम, डॉ. मकबूल मंजर के नाम राजेंद्र चौक (छः मुहान) स्थित उर्दू लाइब्रेरी मेंआयोजित कराया। अध्यक्षता डॉ. मकबूल मंजर जबकि संचालन हाजी शमीम रज़वी व मो. यूनुस रज़वी, ने संयुक्त रूप से किया।अतिथियों का स्वागत अदबी संसार के संस्थापक एम.जे. अज़हर ने किया। मौके़ पर समाजसेवी सैय्यद मो. कलाम व इंडियन मानव अधिकार के अध्यक्ष अनवर अहमद ने क्रमशः शायर डॉ. मकबूल मंजर, मुख्य अतिथि मुस्तफा बल्ख़ी गोया अजीमाबादी, उर्दू लाइब्रेरी के अध्यक्ष हसनैन खां को अंग वस्त्र व माला पहनकर सम्मानित किया।डॉ. मकबूल मंजर: कभी करो तो सही तजर्बा दवा की तरह, कसम से खाक ए मदीना है कीमिया की तरह।मौ. महताब आलम ज़ियाई: मेरे हुजूर शहंशाह ए अंबिया की तरह, हुआ है और न कोई होगा मुस्तफा की तरह।शमीम रज़वी: नबी का सानी जहां में तलाशने वालो, दिखा दो मुझको शहंशाह ए कर्बला की तरह।अमीन रहबर: लगता है मदीने में गुलामान ए नबी को, दर छोड़ के जाऊं न कभी दूर कहीं भी।एम.जे.अज़हर: नबी के सदके ये तौकीर रब ने बख्शी है, जो कट रही है जीस्त मेरी इज्जत से।नौशाद अहमद खां: करोगे जिक्र ए मोहम्मद जो तुम अकीदत से खुदा नवाजेगा तुमको भी अपनी रहमत से।डॉ. अतहर मोबिन कु़रैशी: नबी की शान वो देखेंगे रोज ए महशर में, हुए हैं जो यहां मुनकिर नबी की अजमत से।

निगार आलम अता: तुम्हें ऐ तालिबों खुल्द ए बरीं मुबारक हो, हमें अजीज मदीना है बागे जन्नत से।इमरान शाद: नसीब जाग उठे क्यों न फिर जियारत से, खुदा दिखाएं जो तैबा मुझे भी किस्मत से।फरहत हुसैन खुशदिल, अजीज हमजापुरी, नूर सुल्तानपुरी, अतिया नूर, जकाउल्लाह हसन चिश्ती, हसरत सफीपुरी, ताहिर पलामुवी, मौलाना अरशद नईमी, मो. हसामुद्दीन, अलाउद्दीन शाह चिराग, मो. इस्तखार, फ़ारूक़ अहमद, मो. यूनुस रज़वी, मो.मेराज आलम शम्सी के द्वारा भी नातिया कलाम पेश किया गया।

देर रात तक चले 33 वीं तरही नातिया मुशायरा में डॉक्टर तस्लीम आरिफ, सलीम अंसारी, मुजाहिद हुसैन, नसीमुद्दीन अंसारी सहित काफी़ संख्या में लोग उपस्थित थे।

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