– साकची रामलीला मैदान में भागवत कथा के छठवें दिन सुदामा चरित्र का प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु
जमशेदपुर : साकची स्थित श्री रामलीला मैदान में चल रहे भागवत कथा के छठवें दिन गुरूवार को कथावाचक स्वामी सर्वज्ञानन्द जी महाराज ने श्री सुदामा चरित्र, श्रीमदभागवत, व्यास पूजन, श्रीशुक्रदेव विदाई एवं होली उत्सव की कथा का विस्तार से सुंदर प्रसंग कहा। इस दौरान श्रद्धालु कथा के प्रसंग सुन मंत्रमुग्ध हो गए। श्री श्री रामलीला उत्सव समिति द्वारा आयोजित भागवत कथा का वाचन करते हुए सर्वज्ञानन्द महाराज ने कहा कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण और सुदामा जी से समझ सकते हैं। हमेशा धर्म के मार्ग पर चलें। कर्म करो और फल की इच्छा मत करो। कर्म करने वालों को उचित फल अवश्य मिलता हैं। भगवान के बताएं सच्चाई के मार्ग पर चलने वाला भक्त जीवन में कभी भी हार का सामना नहीे करता हैं। आगे उन्होंने भागवत की महिमा का गुणगान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भागवत कथा मनोरंजन का साधन नहीं, जन जागरण का रूप है। उन्होंने कहा कि नकारात्मक मानसिक विचारों से ही मनुष्य का पतन होता है। श्रीमद्भागवत कथा देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। श्रीमद्भागवत के अनुसरण से भक्त का कल्याण होता है और जीवन में सुख व शांति का अनुभव होता है। उन्होंने कहा कि जितने भी सद्गुण होते हैं वे सभी परमात्मा द्वारा ही प्राप्त होते हैं। मनुष्य के सद्गुणों पर नहीं भगवान के प्रति ही कृतज्ञ होना चाहिए। साथ ही उन्होंने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि सुदामा जी जितेंद्रिय एवं भगवान कृष्ण के परम मित्र थे। वे भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। गरीबी के बावजूद भी वे हमेशा भगवान के ध्यान में मग्न रहते थे। पत्नी सुशीला सुदामा जी से बार बार आग्रह करती कि आपके मित्र तो द्वारकाधीश हैं। उनसे जाकर मिलो शायद वह हमारी मदद कर दें। सुदामा पत्नी के कहने पर द्वारका पहुंचते हैं और जब द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं कि सुदामा नाम का ब्राम्हण आया है। कृष्ण यह सुनकर नंगे पैर दौड़कर आते हैं और अपने मित्र को गले से लगा लेते हैं। उनकी दीन दशा देखकर कृष्ण के आंखों से अश्रुओं की धारा प्रवाहित होने लगती है। सिंघासन पर बैठाकर कृष्ण जी सुदामा के चरण धोते हैं। सभी पटरानियां सुदामा जी से आशीर्वाद लेती हैं। सुदामा जी विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना हुआ पाते हैं। लेकिन सुदामा जी अपनी फूंस की बनी कुटिया में रहकर भगवान का सुमिरन करते हैं। वहीं कथा सुनकर श्रोतागण भक्तिरस में झूमने लगे। आज यजमान के रूप में चन्द्रा-हरे राम सिंह, गीता-बीएस जायसवाल शामिल हुए। मौके पर डॉ डीपी शुक्ला, रामफल मिश्र, रामगोपाल चौधरी, शंकर सिंघल, नवल झा, महेश तिवारी, प्रदीप चौधरी, मनीष मिश्रा, अवधेश मिश्रा, रोहित मिश्रा, राम केवल मिश्र, पवन अग्रहरी, मनोज कुमार मिश्र, संजय सिंह, प्रदीप चौधरी समेत सहित बड़ी संख्या में श्रोतागण मौजूद थे।