केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री से मिला पूर्व सैनिक सेवा परिषद का प्रतिनिधि मंडल

 

पूर्व सैनिकों का सम्मान और रोजगार है संगठन की प्राथमिकता – कर्नल आरके सिन्हा

 

जमशेदपुर : अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद, मातृशक्ति झारखंड का मुख्य उद्देश्य पूर्व सैनिकों का सम्मान और उनका नियोजन है। जिससे उनकी जीवन शैली समाज के साथ गतिमान हो सके। हम सभी को मिलकर एक सशक्त सैनिक संगठन बनाना है और जिससे सैन्य हितों की रक्षा के साथ साथ उनको स्तरीय रोजगार मिल सके।जिसकी जानकारी मंत्री को भी दी गई। वहीं वर्ष 2000 में झारखंड प्रदेश के गठन के बाद से आज तक राज्य सरकार की नौकरियों में पूर्व सैनिको को कोई आरक्षण नहीं दिया जा रहा है। जबकि देश के 4 राज्यों के अलावा सभी राज्यों में पूर्व सैनिको के लिए आरक्षण का प्रावधान है। इसी तरह सेवानिवृत होने के बाद शहीदों एवं पूर्व सैनिकों के मिलने वाली बंदोबस्ती जमीन के आवंटन पर सरकार द्वारा रोक लगा दिया गया है। वहीं टाटा स्टील समेत राज्य के समस्त निजी संस्थानों की सुरक्षा कार्यों में पूर्व सैनिकों को कोई प्राथमिकता नहीं है। वहीं जमशेदपुर जैसे शहर में ईसीएचएस के मध्यम से सिर्फ एक अस्पताल ही सूचीबद्ध है। लौहनगरी के सबसे प्रमुख अस्पताल टाटा मेन हॉस्पिटल को सूचीबद्ध करने की मुहिम पिछले 7 वर्षों से विफल रही है। राष्ट्र के लिए शहीद होने वाले सैनिकों के आश्रितों व परिवार को राज्य में उचित सम्मान, मुआवजा एवं पुनर्वास की वैकल्पिक व्यवस्था अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है। डीजीआर के माध्यम से विभिन्न संस्थानों में सुरक्षा सेवा देने वाले पूर्व सैनिकों को निर्धारित मानदंडों के अनुसार वेतन नहीं दिया जा रहा है। और तो और उनका लगातार शोषण भी हो रहा है। डीजीआर से मान्यता प्राप्त सिक्योरिटी एजेंसियों के परिचालन का अधिकार फौज से सेवानिवृत अधिकारियों को प्राप्त है‌। परंतु ऐसे अधिकतर एजेंसियों के परिचालन की जिम्मेदारी स्थानीय प्रभाव वाले व्यक्ति को सौप दिया जाता है और जिससे इन संस्थानों में पूर्व सैनिकों की बहाली से लेकर उनके दैनिक कार्यकलापों व वेतन भत्तों में जमकर विसंगतियां हो रही हैं। झारखण्ड में ईएसएम से दबंगो और पुलिसकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार की घटनाएं काफी आम है। इसके खिलाफ प्रशासन में सुनवाई भी मुश्किल से होती है। उत्तर प्रदेश में एक सीनियर एसपी रैंक के ऑफिसर को पूरे प्रदेश में इन मामलों पर शीघ्रता एवं प्रभावी ढंग से कार्यवाई करने के लिए चिन्हित कर दिया गया है। इस प्रकार की व्यवस्था झारखंड के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में भी लागू किया जाए। सीएसडी कैंटीन की सुविधा सभी पूर्व सैनिक एवं उनके परिवार के लिए लागू है। परन्तु झारखंड के सिर्फ 3 जिलों में यह उपलब्ध है। नतीजन ज्यादातर ईसीएम को यह सुविधा उपलब्ध नहीं हो रहा है। वहीं मंत्री ने राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर की सभी सैन्य समस्याओं के शीघ्र निस्तारण का आश्वासन भी दिया।

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