सरयू राय की दो टूक – चेहरा देखकर काम न करें जेएनएसी और टाटा स्टील यूआईएसएल
– अफसरों को दौरा करना चाहिए बस्तियों का, तब समझ में आएगा समस्या कहां और कितनी विकराल है
– विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद कदमा, सोनारी जैसे इलाकों में सफाई की व्यवस्था लचर हो गई
– कदमा और सोनारी के सफाई ठेकेदार लापता, इलाकों में फैलता जा रहा है गंदगी का साम्राज्य
– पूर्व मंत्री 25 सफाईकर्मियों का इस्तेमाल अपनी मर्जी से करते थे
जमशेदपुर : पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने जेएनएसी और टाटा स्टील यूआईएसएल के अधिकारियों से स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वे क्षेत्र में जनसुविधाओं का काम जनहित में करें, किसी व्यक्ति का चेहरा देखकर नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि टाटा स्टील यूआईएसएल और जेएनएसी को जनहित में काम करना चाहिए, पारदर्शिता के साथ काम करना चाहिए। कोई मंत्री रहा हो या कोई दबंगई दिखाए तो आप उसे दो दर्जन मजदूर दे देंगे और जहां जनता का सवाल आये, वहां आप चुप्पी साध लेंगे। यह नहीं चलेगा। एक बार जेएनएसी और टाटा स्टील यूआईएसएल के अफसरों को बस्तियों का दौरा करना चाहिए। ताकि इन्हें पता चल सके कि लोग रोज कचरा, नाले, साफ-सफाई आदि की किन समस्याओं से रोज जूझ रहे हैं। यहां जारी एक बयान में सरयू राय ने कहा कि जेएनएसी के उप नगर आयुक्त, टाटा स्टील यूआईएसएल के अफसरों और भूमि विभाग के अधिकारियों संग कल एक बैठक की थी। जिसमें जेएनएसी के उप नगर आयुक्त कृष्ण कुमार, टाटा स्टील यूआईएसएल के महाप्रबंधक आरके सिंह, पेयजल विभाग के प्रभारी संजीव झा और टाटा स्टील लैंड के अमित सिंह समेत अन्य भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद कदमा और सोनारी जैसे इलाकों में सफाई की व्यवस्था लचर हो गई है। बस्तियों में पीने के पानी के लिए जो कनेक्शन चार्ज तय किया गया है, वह बस्ती वासियों के लिए काफी अधिक है। उन्होंने याद दिलाया कि कि टाटा स्टील यूआईएसएल ने चुनाव के पहले तक कदमा और सोनारी में सफाई के लिए तत्कालीन विधायक और मंत्री को 25 सफाईकर्मी दे रखा था। इन 25 सफाईकर्मियों का उपयोग वह (तत्कालीन मंत्री-सह-विधायक) अपनी मर्जी से करते थे। चुनाव होते ही ये सभी कर्मचारी सफाई के काम से गायब हो गये। साथ ही उन्होंने कहा कि वह यह नहीं चाहते कि ये सफाईकर्मी उनके कहने पर काम करें। बल्कि नैतिकता का तकाजा है कि टाटा स्टील यूआईएसएल को इतने ही कर्मचारी जेएनएसी को दे देना चाहिए। ताकि जेएनएसी सफाई कार्य में इनका इस्तेमाल कर सके। इसी तरह से पेयजल के बारे में टाटा स्टील यूआईएसएल के अधिकारियों का कहना है कि झारखंड सरकार ने 1 जनवरी 2021 से जो दर लागू किया है, वे वही दर ले रहे हैं। विधायक सरयू राय का कहना था कि सरकार ने दर तय किया, बाध्य नहीं किया है कि आप उसी दर पर आम जनता और गरीबों से भी पेयजल कनेक्शन देंगे। आपको उस पर रियायत करनी चाहिए। दर कम कर देंगे तो राज्य सरकार आपको दंडित करने नहीं जा रही है। इसलिए नैतिकता का तकाजा है कि टाटा स्टील यूआईएसएल कनेक्शन का दर बस्तियों में कम करे। आगे उन्होंने कहा कि जेएनएसी की तरफ से कदमा और सोनारी में जो ठेकेदार थे, या अभी भी हैं, वो सब के सब चुनाव के बाद अपने सफाईकर्मियों को लेकर कहां गायब हो गये। इससे कदमा-सोनारी में गंदगी फैलते जा रही है। सोनारी में साईं कंस्ट्रक्शन के 48 मजदूर पहले कार्यरत थे और कदमा में सेवा सहयोग के 80 से 100 मजदूर काम कर रहे थे। अब पर्याप्त मात्रा में मजदूर नहीं होने से बस्तियों की मुख्य सड़कों पर कचरे का जमाव हो गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये सफाईकर्मी काम करते हुए सड़क पर नजर आने चाहिए। अन्यथा हम लोग इनकी निगरानी करेंगे और 25 जनवरी को नगर निगम से पूछेंगे कि आपके ठेकेदारों ने कितने स्थानों पर कितने सफाईकर्मी लगा रखे हैं। अगर वो नहीं मिलेगा तो कानूनी कार्रवाई की सिफारिश करेंगे। वहीं विधायक सरयू राय ने कहा कि जेएनएसी और टाटा स्टील यूआईएसएल को जन हितों का ख्याल रखते हुए काम करना चाहिए। आश्चर्य है कि पिछले दो साल में आधा दर्जन से ज्यादा बार जेएनएसी और टाटा स्टील यूआईएसएल के अधिकारियों के बयान अखबारों में छपे कि सफाई और कचरा उठाने का पूरा काम कदमा-सोनारी क्षेत्र में टाटा स्टील यूआईएसएल करेगा। सरकार ने एक औद्योगिक नगर समिति भी बना दिया है। तब से इन्होंने समिति के कई प्रावधानों को लागू कर रहे हैं। मगर आश्चर्य है कि कल की बैठक में टाटा स्टील यूआईएसएल ने सफाई के काम से इनकार कर दिया। यानी अब जेएनएसी को ही उन बस्तियों की सफाई का काम भी करना पड़ेगा, जो टाटा लीज क्षेत्र के बाहर की हैं। सरयू राय ने यह जानना चाहा कि पहले जो वक्तव्य दिये गये थे, उनका आधार क्या था और अब अचानक इस परिवर्तन की वजह क्या है। इस संबंध में इन्हें स्पष्टीकरण देना ही होगा। टाटा स्टील यूआईएसएल साफ-साफ कह दे कि वह पेयजल कनेक्शन महंगे दर पर ही देगा, साफ-सफाई नहीं करेगा तो हम लोग उसके विकल्प के बारे में विचार करेंगे। तब जो औद्योगिक नगर समिति का गठन हो रहा है, वह पूरी तरह बेमानी हो जाएगा।