Barkagaon: मां आदिशक्ति को समर्पित नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रि का पर्व आज (रविवार) से शुरू हो गया है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी नापोखुर्द में विधि विधान से पूजा का शुभारंभ किया गया। जिसमे मुख्य पुजारी सुभाष कुमार, चिंतामन साव और प्रकाश कुमार ने पंडित श्री शंकर पांडेय के द्वारा मंत्रोचारण से शुभ मुहूर्त में घटस्थापना के साथ मां आदिशक्ति की पूजा की शुरुआत की गई। सुबह से ही श्रद्धालु माता की भक्ति में लीन दिखे। मंदिरों में खास साज-सज्जा की गई है। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं, जिसे शुभ संकेत माना जा रहा है। शास्त्रों के अनुसार, हाथी को बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना गया है।
नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाएगी। नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर मंत्रोच्चार, वैदिक अनुष्ठानों के साथ कलश में मां दुर्गा का आव्हान किया जाता है, इसे घटस्थापना कहते हैं। घटस्थापना शुभ मुहूर्त में ही की जाती है, इससे मां दुर्गा नौ दिन तक घर में वास करती हैं।
कलश स्थापना का महत्व: कलश स्थापना का अर्थ है नवरात्रि के वक्त ब्रह्मांड में मौजूद शक्ति तत्व का घट यानी कलश में आह्वान करना। शक्ति तत्व के कारण घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। नवरात्रि के पहले दिन पूजा की शुरुआत दुर्गा पूजा के लिए संकल्प लेकर कलश स्थापना करके की जाती है। कलश को सुख और समृद्धि देने वाला माना गया है। घर में रखा कलश माहौल भक्तिमय बनाता है। इससे पूजा में एकाग्रता बढ़ती है। कलश को भगवान गणेश का रूप भी माना जाता है, इससे कामकाज में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। उन्होंने बताया कि शारदीय नवरात्रि का समापन 23 अक्टूबर 2023 को होगा और 24 अक्टूबर को विजयादशमी पर मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन होगा। ऐसे में शारदीय नवरात्रि पूरे नौ दिन मनाए जाएंगे। इस साल किसी भी तिथि का क्षय नहीं है।