एक मतला एक शेर

एक मतला एक शेर नज़र तुमसे मिली क्या हम तुम्हें अपना बना बैठे ख़बर क्या थी सुकूँ का आशियाँ खुद का जला बैठे।। कभी चुप चाप सांसों से भी उनको छूना चाहा तो, मचाया शोर पायल ने ये कंगन खनखना बैठ।।   बिट्टू जैन सना

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