टाटा स्टील ने मनाई सर दोराबजी टाटा की 165 वीं जयंती

 

जमशेदपुर : टाटा स्टील ने मंगलवार सर दोराबजी टाटा की 165 वीं जयंती श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई। इस अवसर पर जमशेदपुर में सर दोराबजी टाटा पार्क में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम में चैतन्य भानु, वाईस प्रेसिडेंट (ऑपरेशन्स), टाटा स्टील जमशेदपुर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। साथ ही डॉ टी मुखर्जी, पूर्व डेप्युटी मैनेजिंग डायरेक्टर (स्टील), सम्मानित अतिथि और संजीव कुमार चौधरी, प्रेसिडेंट, टाटा वर्कर्स यूनियन, विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। इस अवसर पर टाटा स्टील और समूह की अन्य कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी, टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारी और शहर के नागरिक भी उपस्थित रहे। इस दौरान अपने संबोधन में चैतन्य भानु ने सर दोराबजी टाटा के भारतीय औद्योगीकरण और राष्ट्र के समग्र विकास में उनके अमूल्य योगदान को याद करते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार संकट के दौर में सर दोराबजी टाटा और मेहरबाई टाटा ने टाटा स्टील को पुनर्जीवित करने के लिए अपनी पूरी संपत्ति को समर्पित कर दिया था। वहीं संजीव कुमार चौधरी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे सर दोराबजी टाटा ने मजदूरों की समस्याओं को समझा और यूनियन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सर दोराबजी टाटा का खेलों के प्रति जुनून अत्यंत स्पष्ट था। उन्होंने खेलों और पार्कों के लिए स्थान आरक्षित करने के अपने पिता के विजन को पूरी तरह अपनाते हुए खेलों को कंपनी के लोकाचार का एक अभिन्न हिस्सा बना दिया। भारत को ओलंपिक में भाग लेते देखने की उनकी इच्छा ने 1920 में एंटवर्प ओलंपिक खेलों के लिए भारतीय एथलीटों को प्रायोजित करने की पहल की। उनके प्रयासों के परिणाम स्वरूप 1924 के पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हुआ और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति में नियुक्त किया गया। वे भारतीय ओलंपिक संघ के पहले अध्यक्ष भी बने। टाटा स्टील आज भी खेलों को राष्ट्र निर्माण का एक महत्वपूर्ण अंग मानते हुए इस विरासत को आगे बढ़ा रही है। फुटबॉल, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, हॉकी और स्पोर्ट क्लाइंबिंग जैसे विविध खेलों के लिए स्थापित अकादमियों के माध्यम से हम पूरे भारत में खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित कर रहे हैं। सर दोराबजी टाटा की विरासत आने वाली पीढ़ियों के व्यवसायियों और उद्यमियों के लिए एक निरंतर प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

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