ट्रिगर्स के संपर्क में आना अस्थमा रोग बढ़ने के प्रमुख कारण – डॉ. जगदीश लोहिया

– विश्व अस्थमा दिवस 2024 की थीम “अस्थमा शिक्षा सशक्तीकरण”

 

जमशेदपुर : विश्व अस्थमा दिवस 2024 की थीम अस्थमा शिक्षा सशक्तीकरण पर तामोलिया स्थित ब्रह्मानंद नारायणा हॉस्पिटल के कंस्लटेंट इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ जगदीश लोहिया का कहना हैं कि उत्तेजक कारकों के संपर्क में आना, लंबे समय तक धुएं के संपर्क में रहना, चाहे वह बाहरी वाहन निकास/औद्योगिक से हो या फिर घर के अंदर जैव द्रव्यमान ईंधन जोखिम अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकता है। उनके अनुसार ट्रिगर्स के संपर्क में आना, शहरीकरण और औद्योगीकरण अस्थमा बढ़ने के प्रमुख कारक हैं। वहीं सोमवार को जारी प्रेस विज्ञाप्ति में डॉ लोहिया ने बताया कि अस्थमा से रक्त संबंधी होना, ऐटोपिक जिल्द की सूजन या हाई फीवर जैसी अन्य एलर्जी संबंधी स्थिति होना, अधिक वजन होना, धूम्रपान करने वाला होना, रसायनों जैसे व्यावसायिक कारकों के संपर्क में आने वाले लोग जोखिम उठाते हैं। उन्होंने बताया कि सूखी खांसी, सांस लेने में कठिनाई, सीने में जकड़न, घरघराहट होना दमा के लक्षण हैं। जिसकी पहचान वायुजनित एलर्जी जैसे परागकण, घर की धूल के कण, फफूंद बीजाणु, पालतू जानवरों की रूसी, सांस संबंधी संक्रमण जैसे सामान्य सर्दी (वायरल), ठंडी हवा, वायु प्रदूषक, कुछ दवाएं, गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी) हैं। डॉ लोहिया के अनुसार यदि आपको अस्थमा है तो आपको पता होना चाहिए कि आप अपने अस्थमा को नियंत्रित करने के लिए क्या कर सकते हैं और यदि आपका अस्थमा गंभीर है तो क्या करें। सबसे पहले आपको अपने डॉक्टर की मदद से अपने अस्थमा ट्रिगर्स की पहचान करनी होगी और फिर एक अस्थमा एक्शन प्लान बनाना होगा। उन्होंने बताया कि इसमें अस्थमा ट्रिगर्स के संपर्क को हटाना या कम करना, अपने अस्थमा चेतावनी संकेतों को जानना, दवाएं न छोड़ना, नियमित रूप से इनहेलर लेना और सही तकनीक के साथ इसका उपयोग करना शामिल है। बताते चलें कि एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के अनुसार, सबसे आम इनडोर एलर्जी घरेलू धूल के कण, तिलचट्टे, धूल के कण और पराग कण हैं, जिसमें 63 हजार अस्थमा रोगियों को कवर करते हुए पांच वर्षों में डेटा एकत्र किया गया था।

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