संजय सागर
बड़कागांव : हजारीबाग लोकसभा चुनाव की तैयारी जहां एक ओर प्रशासनिक पदाधिकारी लगे हुए हैं, वहीं मतदाता भी वोट करने के लिए उत्साहित है. बड़कागांव प्रखंड में 1 लाख 2999 मतदाता मतदान करेंगे. यहां का स्थानीय मुद्दा बिजली की समस्या है. यह समस्या हर लोकसभा चुनाव एवं विधानसभा चुनाव में चुनावी मुद्दा बनाकर प्रत्याशियों एवं मतदाताओं के बीच आती है .भाषण बाजी खूब होती है, लेकिन बिजली की आंख में आंख में मिचोनी की समस्या अब तक दूर नहीं हो पाई है. मतदाताओं के अनुसार यहां की बिजली समस्या 40 वर्षों से है. बिजली की समस्या को दूर करने के लिए बड़कागांव के लंगातू के लोगों ने जमीन दान कर विद्युत सब स्टेशन स्थापना करवाई. इसके बावजूद भी बिजली की समस्या नहीं सुधरी तत्पश्चात हरली में दूसरी विद्युत से प्रशासन की स्थापना की गई है एवं एनटीपीसी का पर्सनल विद्युत स्टेशन पनकी बर्बादी में स्थापित की गई. यहां तीन विद्युत स्टेशन है. लेकिन समस्या जस का तस रह गई है. बड़कागांव की जनता को आश्वासन मिला था कि यहां को कोयलवरी खुलने से बिजली की समस्या दूर हो जाएगी .एनटीपीसी द्वारा यहां कोयलवरी खोली गई. बड़कागांव से हर दिन 50 हजार टन देश के विभिन्न बिजली प्लांटो में भेजी जाती है. यहां के कोयला से भारत के बड़े-बड़े शहर बिजली का लाभ उठाते हैं. लेकिन बड़कागांव और केरेडारी नियमित बिजली से वंचित है . बड़कागांव विद्युत सब स्टेशन के विद्युत कर्मियों के अनुसार बड़कागांव विद्युत सब स्टेशन में 320 एम्पीयर बिजली आती है .जिससे बड़कागांव प्रखंड ,केरेडारी प्रखंड एवं टंडवा के 6 गांव में बिजली वितरण की जाती है. यहां की विद्युत कर्मियों के अनुसार बड़कागांव को 620 से अधिक एंपियर बिजली की आवश्यकता है.
क्या कहना मतदाताओं
बरखा गांव संजय स्वीट के संजय कुमार गुप्ता का कहना है कि बड़कागांव को शहरी क्षेत्र घोषित कर दिया गया है यहां के लोगों से शहरी बिल लिया जाता है लेकिन शहर की तरह बिजली नहीं मिलती है. अभिमन्यु कुमार गुप्ता का कहना है कि हर चुनाव में बिजली को चुनावी मुद्दा बनाया जाता है. लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद इसकी चर्चा करना भूल जाते हैं. रंजना फूल भंडार के नीरज कुमार मालाकार, आशा देवी, समरी देवी का कहना है कि बिजली की आंख मिचोंनी 40 वर्षों से है. पर आज तक नहीं सुधरी. इसे चुनावी मुद्दा बनाकर चुनाव के बाद काम भी हो.