बड़कागांव में हर सुबह शाम गूंज रहे हैं करम गीत 

 

भैया हो बसा ला शहरा में लाइन दियो डालवा संदेशा करम में…

 

संजय सागर

 

बड़कागांव : भाई-बहनों का त्यौहार करमा पर्व के मौके पर इन दिनों सुबह शाम करमा गीत ,लोकगीत से क्षेत्र गूंज रहा है . बरे लगल दिया रे चमके लागल बाती, बारू रे दिया … भैया हो बसा लरसा हरा में लाइन दियो डालवा संदेश… आदि कर्म गीत से गूंज रहा है. इन गीतों में भाई बहनों का प्यार की कहानी वर्णित है.

भाई बहनों एवं माता-पिता में करमा पर्व को लेकर उत्साह है बहनें करम परब की तैयारी में जुट गई हैं. 6 सितंबर से बहनों ने इसकी शुरूआत कर दी. गांव की गलियों एवं अखाड़ों में बहनें जावा डाली के साथ नृत्य करने लगी हैं. बहनें अपने भाई के लिए करम करती हैं, एवं भाई बहनों के लिए एकादशी करम करते हैं ,ताकि भाई-बहन का प्रेम बना रहे. करम एकादश भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है. भादो शुरू होते ही करम पर्व की तैयारी प्रारंभ हो जाती है. खेतों में काम समाप्त होने के बाद बहनें उत्साहित होकर व्रत करती हैं कि अब अनाज की कोई कमी नहीं होगी. वहीं शादी-शुदा बहनें करम पर्व करने के लिए गाती हैं दादा जल्दी आने जाबे करमा लागी… भादो में मनाए जाने वाले इस पर्व में बहनें भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं. झारखंड में इस पर्व का खास महत्व है. बड़कागांव, सांढ , खैरातरी, चोरका, पंडरिया, सोनबरसा, सिंदुवारी, महटिकरा, चमगाढ़ा, बरवाडीह, हरली, बादम, नापोखुर्द, महुगायीखुर्द, चोंदोल, हाेरम, लौकुरा, नयाटांड, तलसवार, आंगो आदि गांवों एवं बस्तियों में:

बहने एवं महिलाओं हर सुबह शाम नृत्य करती है.

 

कैसे मनाया जाता है करमा पर्व:

भादो माह शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को करमइत नदी, या तालब जाकर डाली में बालू भरकर उसमें धान, चना, जौ, कुरथी, मकई, मूंग, उरद सहित नौ प्रकार के अनाज के दानों को डालती हैं. बाद में यह अंकुरित होता है जिसे लोग जावा कहते हैं.जावा के अंकुरण को सृजन का प्रतीक माना जाता है. जावा डाली में नौ प्रकार का बीज डालने के बाद युवतियां उसे देव स्थल में रखती है. बहनें अखरा में जावा को लाकर जागरण लोक गीत के साथ करती है. भादो एकादश के दिन भाई बहन करमा करती हैं. दूसरे दिन नदियों व तालाब में करम के डाल को विसर्जन करती हैं.

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